हाईकोर्ट का कहना है कि शिक्षण संस्थानों का मुख्य उद्देश्य पढ़ाई है और किसी भी स्थिति में शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी माना कि छात्रसंघ चुनाव से छात्रों में लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास होता है, लेकिन इसके लिए एक संतुलित और सुव्यवस्थित व्यवस्था आवश्यक है।
इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि 19 जनवरी को सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की एक संयुक्त बैठक आयोजित की जाए। बैठक में आम सहमति के आधार पर आगामी छात्रसंघ चुनाव को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन तय की जाए। यदि किसी कारणवश चुनाव नहीं कराए जाते हैं, तो इसके पीछे ठोस और तार्किक कारण भी सार्वजनिक किए जाएं।
इस फैसले के बाद छात्र संगठनों में नाराजगी देखी जा रही है, वहीं प्रशासन इसे शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में जरूरी कदम बता रहा है।

