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5 गांवों को जोड़ने वाली सड़क जलभराव और गड्ढों से जर्जर, रोज़ाना 6300 रुपये का अतिरिक्त बोझ

5 गांवों को जोड़ने वाली सड़क जलभराव और गड्ढों से जर्जर, रोज़ाना 6300 रुपये का अतिरिक्त बोझ

गांवों को जोड़ने वाली सड़क जलभराव और गड्ढों से जर्जर, रोज़ाना 6300 रुपये का अतिरिक्त बोझ

खैरथल (प्रगति न्यूज़)
गांव पतलिया, हांसपुर कलां, हांसपुर खुर्द, नंगली जाटान, मोहम्मदपुर और रसगण को खैरथल से जोड़ने वाली मुख्य सड़क की हालत अत्यंत खराब हो चुकी है। यह सड़क गांव नांगल संतोकड़ा से होकर गुजरती है, जहां भारी जलभराव और सड़कों पर गहरे गड्ढों के कारण ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ रही है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि पानी निकासी की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होने के कारण यह समस्या साल-दर-साल गंभीर होती जा रही है। गड्ढों में भरे पानी से दुर्घटनाओं की संभावना लगातार बनी हुई है। साथ ही ग्रामीणों को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा आर्थिक नुकसान

सड़क की दुर्दशा के कारण ग्रामीणों को करीब 3 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। आंकड़ों के अनुसार, हर गांव में औसतन 1 से 2 बाइक प्रति परिवार हैं। छह गांवों में मिलाकर लगभग 4200 मोटरसाइकिलें प्रतिदिन प्रभावित होती हैं। अगर 1 किलोमीटर का खर्च औसतन ₹1.50 माना जाए, तो 3 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी पर प्रतिदिन लाखों का नुकसान हो रहा है।

वित्तीय नुकसान का अनुमान (तालिका)

आवृत्ति मोटरसाइकिलें प्रति बाइक अतिरिक्त दूरी (किमी) प्रति किमी लागत (₹) कुल दैनिक लागत (₹)
प्रतिदिन 4200 3 किमी ₹1.50 ₹6,300
प्रतिमाह (30 दिन) - - - ₹1,89,000
प्रतिवर्ष (12 माह) - - - ₹22,68,000

सरपंच तारा चन्द बोले - “प्रयास जारी, लेकिन बाधाएं नगर परिषद से जुड़ने के बाद बढ़ीं”

इस विषय में प्रगति न्यूज़ संपादक से रसगण ग्राम पंचायत के सरपंच श्री तारा चन्द ने बातचीत में बताया:

मेरी ओर से पूरा प्रयास किया गया है, लेकिन समस्या अब बड़ी हो गई है। नांगल संतोकड़ा को नगरपरिषद खैरथल तिजारा में जोड़ने के बाद ग्राम पंचायत का वहां कोई अधिकार नहीं बचा है। बजट और नियमों की सीमाएं आड़े आ रही हैं। कई बार जनसुनवाई में भी इस गंभीर मुद्दे को उठाया गया है, लेकिन कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला है। समाज और ग्रामीणों के सहयोग से ही समाधान संभव है।

प्रशासनिक उदासीनता बनी बड़ी बाधा

स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन और संबंधित अधिकारी इस समस्या से पल्ला झाड़ रहे हैं। नगर परिषद और पंचायत के बीच अधिकार क्षेत्र की उलझन के चलते यह गंभीर समस्या लंबित पड़ी है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।

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