आवाज उठा लो, अरावली बचा लो
पर्यावरण संरक्षण का सशक्त आह्वान
अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर खैरथल-तिजारा की लेखिक दीपदीपिका मोलावास ने अपनी मार्मिक कविता “आवाज उठा लो, अरावली बचा लो” के माध्यम से समाज और सरकार दोनों को चेताने का प्रयास किया है। कविता में अरावली के नष्ट होने से राजस्थान में फैलते रेगिस्तान, गहराते जल संकट, बढ़ते वायु प्रदूषण और वन्यजीवों के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को प्रभावशाली शब्दों में प्रस्तुत किया गया है।
यह रचना आमजन से समय रहते जागरूक होकर प्रकृति और अरावली की रक्षा के लिए कदम उठाने का आह्वान करती है।
कविता : आवाज उठा लो, अरावली बचा लो
लेखक : दीपदीपिका मोलावास, खैरथल-तिजारा
फैले, सम्पूर्ण राजस्थान में रेगिस्तान
कदम तुम मिलकर, उससे पूर्व उठा लो।।
हो राजस्थान में, भीषण जल संकट पैदा
कदम, पानी को तरसने से पहले उठा लो।।
आवाज उठा लो, अरावली बचा लो...
रेत और धूल से भरी आंधियो को तुम
शहरों तक पहुँचने से, पहले रोक लो।।
पशुपालन संग चारागाह पर देकर ध्यान
समय से पहले ही, नष्ट होने से रोक लो।।
आवाज उठा लो, अरावली बचा लो...
जंगल व हरियाली, है जीवनभर जरूरी
कदम, इसके उजड़ने से पहले उठा लो।।
लू, गर्मी, संग वायु प्रदूषण पर देकर ध्यान
कदम सांसे रुकने से पहले उठा लो।।
आवाज उठा लो, अरावली बचा लो...
हो ना जाये, कभी वन्यजीव विलुप्त
इंसान हो, इंसानियत का फर्ज निभा लो।।
मानसून पड़े कमजोर, और हो वर्षा कम
जतन कोई, उससे पहले आजमा लो।।
आवाज उठा लो, अरावली बचा लो...
टूट जाएगी, राजस्थान की मजबूत दीवार
समय रहते, उसको टूटने से बचा लो।।
रहेगी अरावली तो, रहेंगे फायदे अनेक
नष्ट होने से पहले, अरावली को बचा लो।।
आवाज उठा लो, अरावली बचा लो...
