मुण्डावर (संवाददाता किशन सांवरिया) राजकीय महाविद्यालय मुण्डावर एक समय क्षेत्रवासियों के लिए शिक्षा का सपना था, लेकिन आज यह सपना खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। कॉलेज की अपनी कोई बिल्डिंग नहीं है। वर्षों से इसे जर्जर भवन में संचालित किया जा रहा है, जहां दीवारें फटी हुई हैं और बरसात के दिनों में छत से इस कदर पानी टपकता है जैसे कि कोई झरना बह रहा हो। ऐसी स्थिति में छात्र-छात्राएं हर समय खतरे के साये में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ। कॉलेज में सुरक्षा मानकों की खुली धज्जियां उड़ रही हैं – ये कहना मुश्किल हो जाता है कि छात्र क्लासरूम में पढ़ रहे हैं या किसी खंडहर में छिपे खतरे का सामना कर रहे हैं।
छत गिरने से हो सकता है बड़ा हादसा
महाविद्यालय की छत जर्जर हालत में है, और कभी भी गिर सकती है। यदि समय रहते प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, तो यह लापरवाही एक बड़ा हादसा बन सकती है।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि मुण्डावर महाविद्यालय के लिए जल्द से जल्द स्थायी एवं सुरक्षित भवन का निर्माण कराया जाए ताकि छात्र-छात्राएं भयमुक्त होकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें।
शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय हो
इस गंभीर स्थिति के लिए केवल सरकार नहीं, बल्कि स्थानीय विधायक, जनप्रतिनिधि और उच्च शिक्षा विभाग की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे इस ओर संज्ञान लें और तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करें। सिर्फ कॉलेज खोल देना काफी नहीं है, जब तक कि उसमें पढ़ाई के लिए बुनियादी सुविधाएं न हों।
राजकीय महाविद्यालय मुण्डावर की यह स्थिति न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है। यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो इसकी कीमत आने वाले समय में किसी छात्र की जान से चुकानी पड़ सकती है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।