ज्ञापन में अरावली पर्वत श्रृंखला की हालिया परिभाषा में किए गए बदलावों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। फाउंडेशन के संस्थापक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि इस नई परिभाषा के कारण अरावली क्षेत्र में अवैध खनन, जंगलों की कटाई, जलस्रोतों का नष्ट होना और पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है, जिसका सीधा असर आम जनजीवन, जल सुरक्षा और जैव-विविधता पर पड़ रहा है।
संस्था के पदाधिकारियों ने ज्ञापन के माध्यम से मांग की कि अरावली पर्वत श्रृंखला की वैज्ञानिक, भौगोलिक एवं ऐतिहासिक परिभाषा को यथावत बहाल किया जाए तथा अरावली क्षेत्र में किसी भी प्रकार की विनाशकारी गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। साथ ही, दोषी खनन माफियाओं और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग भी रखी गई।
जिला कलेक्टर ने ज्ञापन को राष्ट्रपति तक पहुंचाने का आश्वासन देते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और इस दिशा में जनभागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर फाउंडेशन के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि यदि अरावली को नहीं बचाया गया तो आने वाली पीढ़ियों को जल संकट, प्रदूषण और मरुस्थलीकरण जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
“अरावली बचेगी, तभी भविष्य बचेगा” — इसी संदेश के साथ संस्था ने जन-जागरूकता अभियान को और तेज करने का संकल्प दोहराया।
इस कार्यक्रम के दौरान फाउंडेशन के सदस्य
अंकित शर्मा (गुरुजी), मुकेश कुमार गुप्ता, मनोज अग्रवाल, सुनील लालवानी, गिरीश डाटा, श्याम लाल, बाबूलाल शर्मा ,महेंद्र जांगिड़, हिमांशु गुप्ता, सुमित कुमार, कृष्ण चौधरी, शिवानी शर्मा, जिगर शर्मा, सावन सिंह, तनुज शर्मा, अमित चौधरी, हेमंत गुर्जर, अंकित जोशी, प्रहलाद गोयल इत्यादि उपस्थित रहे।
