खैरथल/अलवर, 7 अगस्त 2025: राजस्थान सरकार द्वारा खैरथल-तिजारा ज़िले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर किए जाने पर किशनगढ़ बास के विधायक दीपचंद खैरिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस निर्णय को जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ और एक सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया है।
विधायक खैरिया ने कहा कि—
"जब कांग्रेस सरकार ने खैरथल को ज़िला घोषित किया और जनता की मांग पर तिजारा को इसमें शामिल किया, तो वह केवल प्रशासनिक फैसला नहीं था, बल्कि जनता की जीत, उनकी पहचान और सम्मान का प्रतीक था।"
उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीते दो वर्षों में न तो स्वास्थ्य सेवाएं विकसित हुईं, न सड़कें बनीं, न युवाओं के लिए नौकरी या विकास की कोई ठोस योजना सामने आई। लेकिन बिना जनता से पूछे, चुपचाप ज़िले का नाम बदल दिया गया।
"श्रद्धा के नाम पर राजनीति?"
भाजपा द्वारा ज़िले का नाम "भर्तृहरि नगर" रखने को लेकर विधायक ने सवाल उठाए कि यदि सचमुच यह श्रद्धा से प्रेरित है तो अलवर जिले का नाम क्यों नहीं बदला गया? भर्तृहरि महाराज की तपोभूमि अलवर में है, न कि खैरथल या तिजारा में।
"अगर सच्ची श्रद्धा होती तो अलवर का नाम बदलते – ताली सबसे पहले मैं बजाता,"
विधायक खैरिया ने कहा।
उनका आरोप है कि यह श्रद्धा नहीं, बल्कि सत्ता के षड्यंत्र की राजनीति है – जिसमें जनता की राय की कोई अहमियत नहीं रखी गई।
मुख्यालय स्थानांतरण की आशंका पर चेतावनी
विधायक दीपचंद खैरिया ने आशंका जताई कि इस नाम परिवर्तन के पीछे ज़िला मुख्यालय को खैरथल से हटाने की योजना छिपी हो सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि—
"यदि ज़िला मुख्यालय के साथ कोई छेड़छाड़ की गई, तो जनता जनार्दन इस कुत्सित प्रयास का मुंहतोड़ जवाब देगी।"
उन्होंने कहा कि यह केवल नाम की लड़ाई नहीं, बल्कि क्षेत्र की पहचान, सम्मान और हक़ की लड़ाई है, और वे जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इसका विरोध करेंगे।
जनता से की खुलकर विरोध की अपील
अपने बयान के अंत में विधायक ने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे इस अन्याय और मनमानी के खिलाफ आवाज़ उठाएं।
"मैं आपकी आवाज़ बनकर लड़ता रहूंगा। ये लड़ाई आपके अधिकारों की है। जो लोग खैरथल-तिजारा की पहचान मिटाना चाहते हैं, उन्हें जनता अब जवाब देगी।"
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विपक्ष की सक्रियता
इस नाम परिवर्तन को लेकर कांग्रेस खेमे में हलचल है। पार्टी नेताओं का मानना है कि भाजपा सरकार जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए प्रतीकात्मक फैसलों की राजनीति कर रही है — जिसका कोई जनसरोकार नहीं है।
खैरथल-तिजारा को एक पहचान देने वाले कांग्रेस शासनकाल की योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने के बाद अब नाम बदलना भी उसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
रिपोर्ट: प्रगति न्यूज़
संपादक: ताराचंद खोयड़ावाल