वायरल हुआ अनोखा आवेदन: “शराब पीने के लिए चाहिए दो दिन की छुट्टी!”

प्रगति न्यूज़ | वायरल रिपोर्ट

सोशल मीडिया की दुनिया में हर दिन कुछ न कुछ अजीबो-गरीब वायरल होता रहता है, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है, उसने न सिर्फ लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया, बल्कि सरकारी कार्यशैली पर तंज कसने का मौका भी दे दिया। मामला उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद जिले का है, जहाँ एक व्यक्ति ने "शराब पीने के लिए महीने में दो दिन की छुट्टी" मांगी है।

इस अजीब लेकिन बेहद दिलचस्प आवेदन पत्र में एक पूर्व सैनिक रमेश कुमार ने जल सेवा मण्डल के उपमण्डल अधिकारी को पत्र लिखकर यह निवेदन किया कि वे सेना में रह चुके हैं, टैंक मिसाइल कोर्स किया है और वर्तमान में कानाल गार्ड के पद पर कार्यरत हैं। आवेदनकर्ता ने पूरी गंभीरता से लिखा कि उन्हें हर महीने दो दिन शराब पीने के लिए छुट्टी की आवश्यकता है ताकि वे अपने तनाव और थकान से राहत पा सकें। साथ ही यह भी जोड़ा कि यदि देश को फिर से उनकी ज़रूरत पड़े तो वे हर समय तैयार हैं।

सोशल मीडिया पर यह पोस्ट "शराब पीने के लिए 2 दिन की छुट्टी चाहिए" कैप्शन के साथ फेसबुक पर Jitender Shukla नामक यूज़र द्वारा शेयर की गई, और कुछ ही घंटों में यह पोस्ट वायरल हो गई। लोग इस पर जमकर मजे ले रहे हैं। 699 से ज्यादा लाइक्स, दर्जनों कमेंट्स और 40 से ज्यादा शेयरों ने इस पोस्ट को वायरल बना दिया है।

क्या कहती है जनता?

  • कुछ लोग इसे "पूर्व सैनिक की ईमानदार गुज़ारिश" बता रहे हैं।
  • वहीं कई इसे "सरकारी छुट्टियों के सिस्टम पर कटाक्ष" मान रहे हैं।
  • एक यूज़र ने कमेंट किया, “कम से कम सच बोलने की हिम्मत तो है भाई साहब में!”
  • दूसरे ने लिखा, “अब ऐसे आवेदन देख के तो ऑफिस वाले भी सोच में पड़ जाएंगे!”

तंज और सच्चाई के बीच की लकीर

इस आवेदन को देखकर हँसी तो आती है, लेकिन यह हमारे सरकारी तंत्र और समाज में मौजूद दबे हुए मानसिक तनाव की भी झलक देता है। हो सकता है ये आवेदन मज़ाक के तौर पर लिखा गया हो, पर इससे यह सवाल जरूर उठता है कि क्या आज भी तनाव या मानसिक थकावट के लिए कोई सुनवाई है?


जहाँ एक ओर यह आवेदन सोशल मीडिया पर मनोरंजन का साधन बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर यह गंभीर बहस को भी जन्म देता है – क्या हमारे कर्मचारी, खासकर पूर्व सैनिकों को मानसिक राहत के लिए कोई संस्थागत सुविधा मिलती है? और क्या प्रशासन ऐसे ‘ईमानदार लेकिन हास्यपूर्ण’ आवेदन को गंभीरता से लेता है?

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि —
"यह आवेदन हँसाता जरूर है, लेकिन सोचने पर मजबूर भी करता है।"


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(यदि आप भी ऐसे मज़ेदार या हैरान कर देने वाले आवेदन देखते हैं, तो हमें ज़रूर भेजें!)