मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दी प्रस्ताव को मंजूरी, राजस्व विभाग करेगा अधिसूचना जारी
✍🏻 संपादक – ताराचन्द खोयड़ावाल
राजस्थान की राजनीति में जिलों के नामकरण का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खैरथल जिले का नाम बदलकर ‘भर्तृहरि नगर’ करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। अब अगला कदम राजस्व विभाग द्वारा अधिसूचना जारी करना होगा।
यह वही खैरथल-तिजारा जिला है जिसे 04 अगस्त 2023 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार में अस्तित्व में लाया गया था। लेकिन दो साल बाद भाजपा सरकार ने इसके नाम में बदलाव कर इसे एक नया ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ देने का प्रयास किया है।
क्यों ‘भर्तृहरि नगर’?
भर्तृहरि का नाम भारतीय संस्कृति में एक विद्वान, संत और योगी के रूप में प्रसिद्ध है। अलवर के भर्तृहरि मंदिर से भी इस नाम को जोड़कर देखा जा रहा है। सरकार का यह निर्णय सांस्कृतिक गौरव और प्राचीन धरोहर को पहचान देने के रूप में पेश किया जा रहा है।
विपक्ष क्या कहेगा?
हालांकि अभी तक विपक्ष की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कुछ संभावित प्रतिक्रियाएँ इस प्रकार हो सकती हैं:
- राजनीतिक उद्देश्य: कांग्रेस या अन्य दल इसे जनता की बुनियादी समस्याओं से ध्यान भटकाने का प्रयास करार दे सकते हैं।
- जन भागीदारी का सवाल: क्या नाम बदलने से पहले जनता की राय ली गई? यह एक बड़ा सवाल बन सकता है।
- विकास बनाम प्रतीकवाद: विपक्ष यह तर्क दे सकता है कि नाम बदलने की बजाय सरकार को वास्तविक विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
- स्थानीय पहचान का मुद्दा: खैरथल और तिजारा की ऐतिहासिक पहचान रखने वाले लोग अपनी जमीनी पहचान मिटने को लेकर असंतोष जता सकते हैं।
भाजपा सरकार का यह कदम सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक सशक्त संदेश देने की कोशिश है, लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से यह आगामी समय में बहस का मुद्दा बन सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जनता इस फैसले को कैसे लेती है और विपक्ष इसे किस रूप में उठाता है।