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बाबा मढ़वाला की स्मृति में पतलिया गाँव में देशी घी का भंडारा – आस्था, सहयोग और परंपरा का संगम
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बाबा मढ़वाला की स्मृति में पतलिया गाँव में देशी घी का भंडारा – आस्था, सहयोग और परंपरा का संगम

खैरथल-तिजारा:- राजस्थान के ग्रामीण अंचलों में सामाजिक एकता और धार्मिक आस्था का अद्भुत मेल देखने को मिलता है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण हाल ही में अलवर जिले के गांव पतालिया में देखने को मिला, जहां बाबा मढ़वाला की स्मृति में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। इस भंडारे में विशेष बात यह रही कि सभी व्यंजन देशी घी में तैयार किए गए थे – खासकर दाल-चूरमा ने श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण बटोरा।

यह आयोजन बाबा मढ़वाला के वंशजों द्वारा किया गया, जो परंपरा और श्रद्धा का जीवंत प्रमाण है। आयोजन में गांव पतलिया के अलावा नंगली जाटान और रामपुरिया की ढाणी के सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया और सेवा का भाव दिखाया।

इस पुण्य कार्य में जिन लोगों ने विशेष सहयोग किया, उनमें अतरसिंह शीशराम, थावरिया राम, सतीश कुमार, सतबीर, रणधीर, रामकिशन, चांदराम, रोहिताश्व, पूरणसिंह, सुबेसिंह, रामजस, ईश्वर, ताराचंद आदि नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन सभी ने तन-मन-धन से इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।

गांव पतालिया की पहचान न केवल खेती-किसानी में है, बल्कि सामाजिक सहयोग और धार्मिक आयोजनों में भी यह गांव हमेशा अग्रणी भूमिका निभाता आया है। चाहे बात सामूहिक विवाह की हो या गौसेवा की, या फिर धार्मिक आयोजन—पतलिया के लोग हमेशा एकजुट होकर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

यह आयोजन केवल एक भंडारा नहीं था, बल्कि यह ग्रामीण संस्कृति, आपसी भाईचारे और परंपरा की जीवंत मिसाल था। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक प्रेरणा है कि मिल-जुलकर कैसे समाज में सकारात्मक ऊर्जा और संस्कारों का संचार किया जा सकता है।





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