आईपीएल सट्टेबाज़ी पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता: क्या सेलिब्रिटी प्रमोशन बन रहा है आत्महत्याओं की वजह?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के नाम पर बढ़ रही ऑनलाइन सट्टेबाज़ी और जुए की प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि सट्टेबाज़ी ऐप्स पर क्या नियम लागू हैं और लोगों को इससे कैसे रोका जा सकता है।

याचिका में उठे गंभीर आरोप

एक याचिका में आरोप लगाया गया कि कई फिल्मी सितारे और क्रिकेट खिलाड़ी ऐसे ऐप्स का प्रचार कर रहे हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को जुए की लत में धकेल रहे हैं। प्रचार के इस प्रभाव से खासकर युवा वर्ग तेजी से इन ऐप्स की ओर आकर्षित हो रहा है।

तेलंगाना में 1,023 आत्महत्याएं

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि तेलंगाना राज्य में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी के कारण 1,023 लोगों ने आत्महत्या कर ली है। यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है और सरकार व न्यायपालिका दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

कानून की कमजोरी

सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने माना कि वर्तमान में ऐसा कोई प्रभावी कानून नहीं है जो पूरी तरह से लोगों को ऑनलाइन सट्टेबाज़ी से रोक सके। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक कानून मजबूत नहीं होगा, तब तक इस लत पर लगाम लगाना मुश्किल होगा।

सेलिब्रिटी की भूमिका पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रत्यक्ष रूप से उन सेलिब्रिटीज़ की भूमिका पर भी सवाल उठाया जो इन ऐप्स का प्रचार करते हैं। क्या लोकप्रियता के प्रभाव का इस्तेमाल लोगों को गुमराह करने में हो रहा है? यह एक नैतिक सवाल बनकर उभर रहा है।


आईपीएल जहां एक तरफ खेल प्रेमियों के लिए मनोरंजन है, वहीं दूसरी तरफ इसके नाम पर ऑनलाइन सट्टेबाज़ी एक सामाजिक संकट का रूप ले रही है। सुप्रीम कोर्ट की यह पहल इस दिशा में एक अहम कदम मानी जा सकती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस पर क्या ठोस कदम उठाती है।



 


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