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शीलगांव में गांव के बीचों-बीच टूटी 11000 वोल्ट की हाई टेंशन लाइन, बड़ी दुर्घटना टली – विद्युत विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों में रोष

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शीलगांव में गांव के बीचों-बीच टूटी 11000 वोल्ट की हाई टेंशन लाइन, बड़ी दुर्घटना टली – विद्युत विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों में रोष

पूर्व में कई बार दी जा चुकी है शिकायतें, लेकिन कार्रवाई नदारद

संवाददाता: अनिल बजाज, मुंडावर राजस्थान के अलवर जिले के मुंडावर उपखंड क्षेत्र के शीलगांव में गुरुवार तड़के करीब 3:00 बजे एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। गांव के बीचों-बीच से गुजर रही 11000 वोल्ट की नंगी हाई टेंशन लाइन अचानक टूटकर नीचे गिर गई, जिससे कई घरों में करंट फैल गया और आग लगने की घटनाएं सामने आईं। हादसे में विद्युत टंकी और कई खंभे भी टूटकर गिर गए।

गौर करने वाली बात यह है कि यह लाइन गांव के मुख्य मार्ग से होकर गुजरती है और पहले भी कई बार टूट चुकी है। हर बार ग्रामीणों द्वारा विद्युत विभाग को इसकी सूचना दी जाती रही है। 'प्रशासन गांवों के संग' अभियान के दौरान ग्रामवासियों ने दो बार इस संबंध में लिखित शिकायत दी थी। इसके अतिरिक्त, 31 जनवरी 2025 को भी सरपंच एवं एमपीएस शीलगांव द्वारा विभाग को पुनः लिखित सूचना दी गई थी। बावजूद इसके, विद्युत विभाग ने अब तक इस गंभीर समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं किया है।

रात को ही क्यों टूटती है लाइन?

अब तक जितनी बार भी यह हाई टेंशन लाइन टूटी है, सौभाग्य से वह घटनाएं रात के समय घटी हैं, जब सड़क पर लोगों की आवाजाही कम होती है। लेकिन यदि कभी दिन में यह लाइन टूटती है, तो जानमाल की गंभीर हानि हो सकती है। बच्चों, बुजुर्गों और राहगीरों की सुरक्षा को लेकर ग्रामीण बेहद चिंतित हैं।

"क्या किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा है विभाग?"

ग्रामीणों का आरोप है कि विद्युत विभाग पूरी तरह उदासीन रवैया अपनाए हुए है। वे सवाल उठा रहे हैं कि क्या विभाग किसी जानलेवा हादसे का इंतजार कर रहा है? लोगों में भय और आक्रोश है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

ग्रामीणों की मांग

  • गांव के बीच से गुजर रही हाई टेंशन लाइन को स्थानांतरित किया जाए।
  • टूटे हुए खंभों और विद्युत टंकी की तुरंत मरम्मत करवाई जाए।
  • जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
  • भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो, इसके लिए स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जाए।

अब देखना यह है कि क्या विभाग ग्रामीणों की इस गंभीर चिंता पर ध्यान देता है या फिर किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार करता रहेगा।




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