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भारत ने बुलाई सभी देशों के राजनयिकों की बैठक: पहलगाम हमले पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कवायद

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नई दिल्ली, 24 अप्रैल – पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारत ने एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाते हुए दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में प्रमुख देशों के राजनयिकों की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, इटली, चीन सहित कई अन्य देशों के राजनयिक शामिल हुए। भारत ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गंभीरता से उठाने और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करने का स्पष्ट संकेत दिया है।

हमले की पृष्ठभूमि

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में सुरक्षाबलों के काफिले पर हुआ आतंकी हमला पूरे देश को झकझोर गया। इस हमले में कई जवान घायल हुए और एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि कब तक भारत सीमा पार से संचालित आतंकवाद का शिकार बनता रहेगा।

भारत की कूटनीतिक पहल

हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने न सिर्फ आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी। विदेश मंत्रालय में बुलाई गई इस उच्चस्तरीय बैठक में विदेशी राजनयिकों को हमले की विस्तृत जानकारी, खुफिया रिपोर्ट्स और प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष साझा किए गए।

विदेश सचिव ने सभी राजनयिकों को बताया कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन की भूमिका के स्पष्ट संकेत मिले हैं। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब आतंकवाद के मुद्दे पर "निंदा" से आगे बढ़कर ठोस वैश्विक कार्रवाई चाहता है।

अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश

भारत का उद्देश्य है कि दुनिया के प्रभावशाली देश पाकिस्तान पर दबाव बनाएं ताकि वह अपनी ज़मीन से आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे। बैठक में यह भी आग्रह किया गया कि ऐसे आतंकी संगठनों को फंडिंग, शरण और राजनीतिक संरक्षण देने वाले राष्ट्रों के खिलाफ आर्थिक व कूटनीतिक प्रतिबंध लगाए जाएं।

राजनयिकों की प्रतिक्रियाएं

बैठक में शामिल अधिकांश देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई। अमेरिकी राजनयिक ने कहा, “हम भारत के साथ खड़े हैं। आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई, मानवता की लड़ाई है।” वहीं रूस और ब्रिटेन ने भी भारत को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।


यह बैठक केवल एक सूचनात्मक पहल नहीं, बल्कि भारत की बदलती रणनीति का परिचायक है। अब भारत आतंकवाद के खिलाफ केवल सैन्य और आंतरिक सुरक्षा के स्तर पर नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है।



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