ब्यूरो चीफ — अनिल बजाज
राजकीय बिशम्बर दयाल गुप्ता जिला
अस्पताल, बहरोड़ इन दिनों
गंभीर लापरवाही का शिकार होता दिखाई दे रहा है। स्थिति यह है कि अस्पताल परिसर के
शौचालय शराबियों का अड्डा बन चुके हैं। यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है और
स्वच्छ भारत मिशन के दावों को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है।
अस्पताल के शौचालयों में शराब पीने के
मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जहाँ न केवल शराब की बोतलें और पव्वे खाली पड़े मिलते हैं, बल्कि बदबू और गंदगी से हालात असहनीय बने हुए हैं। यह तस्वीर साफ बताती है
कि अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की निगरानी कितनी कमजोर है।
जहाँ आम नागरिक और मरीज शौचालय उपयोग
करने आते हैं, वहाँ शराबियों द्वारा
खुलेआम शराबखोरी करने से सुरक्षा और स्वच्छता दोनों पर खतरा मंडरा रहा है। इसके
बावजूद न तो सफाई कर्मियों ने इस ओर ध्यान दिया और न ही जिम्मेदार अधिकारियों की
निगाह इस गम्भीर लापरवाही पर पड़ी।
अब बड़ा सवाल यह है कि—
जब सरकारी अस्पताल जैसी जगह पर भी व्यवस्था बिगड़ जाए, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
कब तक सार्वजनिक स्थानों को शराबियों के लिए सुरक्षित ठिकाना
बनने दिया जाएगा?
जनता और मरीजों की सुरक्षा के लिए
अस्पताल प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं।