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भारतीय संविधान भारतीयों का पवित्र ग्रंथ एवं भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र : डॉ. डी. आर. शर्मा

भारतीय संविधान भारतीयों का पवित्र ग्रंथ एवं भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र : डॉ. डी. आर. शर्मा

मुण्डावर उपखण्ड स्थित इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में भारतीय संविधान दिवस और महाविद्यालय संरक्षक पंडित हरिसिंह शर्मा की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर कार्यक्रम प्रभारी शिक्षाविद अभिनव शर्मा के निर्देशन में हमारा संविधान और भारतीय लोकतंत्र विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 
इस अवसर पर छात्राओं और स्वयंसेविकाओं को संबोधित करते हुए शिक्षाविद एवं राजनीतिक विचारक डॉ. डी. आर. शर्मा ने कहा कि एक लंबे संघर्ष के पश्चात हमारे महापुरुषों के द्वारा भारतीय संविधान को स्वीकृत, अंगीकृत और आत्मार्पित किया गया। हमारे महापुरुषों के अथक प्रयासों के फलस्वरुप ही हम वर्तमान में खुले हवा में सांस ले रहे हैं। प्रत्येक विद्यार्थी और भारतीय नागरिक को हमारे संविधान के बारे में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए। हमारे मौलिक अधिकार क्या हैं और हमारे मूल कर्तव्य क्या हैं। इसके संदर्भ में भी हमें बारीकी से जानकारी होनी चाहिए। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमारा सबसे पवित्र ग्रंथ संविधान ही है। हम सबका यह परम कर्तव्य बनता है कि हम अपने संविधान की और अपने लोकतंत्र की रक्षा करें। इस अवसर पर सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रेमलता शर्मा, नेहा चौधरी, प्रियंका सैनी, मनीषा यादव, अंतिमा सेन, काजोल सेन, प्रियंका सेन, अंशु यादव, काजल यादव, मुस्कान यादव, रिया सैनी, रेणु सैनी, दीक्षा, अनुप्रिया सांवरिया, अनोख चौधरी, रूचिका चौधरी एवं ज्योति मेघवाल सहित अनेक छात्राओं और स्वयंसेविकाओं के द्वारा भारतीय संविधान दिवस के उपलक्ष्य में अपने विचार रखे गए।

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