आंदोलन स्थल पर मौजूद ग्रामीणों, व्यापारियों, सामाजिक संगठनों और छात्र संगठनों ने सरकार से यह मांग दोहराई कि जब जिले का नाम खैरथल-तिजारा रखा गया है, तो मुख्यालय खैरथल में ही घोषित किया जाए। आंदोलनकारियों का कहना है कि खैरथल भौगोलिक, प्रशासनिक, जनसंख्या और कनेक्टिविटी के लिहाज से जिला मुख्यालय के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है।
मंच से संबोधित नेताओं ने कहा कि 107 दिनों से लगातार शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा है, लेकिन सरकार की ओर से केवल घोषणाएँ ही सामने आई हैं। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि मुख्यालय को लेकर स्पष्ट और लिखित आदेश जल्द जारी नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
इसी दौरान, शनिवार को धरना स्थल पर आमजन की बड़ी उपस्थिति देखने को मिली। लोगों ने सद्बुद्धि यज्ञ और सामूहिक प्रार्थना के माध्यम से सरकार से उचित निर्णय की मांग की। महिला समूहों, युवा मोर्चा और किसानों ने भी मुख्यालय खैरथल में स्थापित करने का समर्थन जताया।
आंदोलनकारी प्रतिनिधियों ने बताया कि वे सरकार को कई बार ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन अभी तक स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। उनका कहना है कि अधिसूचना जारी होने के बाद भी मुख्यालय को लेकर भ्रम की स्थिति बनाकर सरकार जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है।
आंदोलनकारियों ने कहा कि जिले के विकास, प्रशासनिक सुविधा और जनहित को देखते हुए खैरथल को ही स्थायी जिला मुख्यालय घोषित किया जाना चाहिए।
