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खैरथल जिले के नाम व मुख्यालय परिवर्तन के खिलाफ गरजा जनआक्रोश, पूरे दिन प्रदर्शन-ज्ञापन का दौर

खैरथल जिले के नाम व मुख्यालय परिवर्तन के खिलाफ गरजा जनआक्रोश, पूरे दिन प्रदर्शन-ज्ञापन का दौर

खैरथल/मुण्डावर — खैरथल जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर करने और जिला मुख्यालय स्थानांतरण की आशंका ने पूरे क्षेत्र में राजनीतिक हलचल और जनाक्रोश को भड़का दिया है। शुक्रवार को सुबह से देर शाम तक खैरथल, मुण्डावर और आसपास के इलाकों में विरोध प्रदर्शनों, ज्ञापन सौंपने और नेताओं के तीखे बयानों का दौर चलता रहा।



मुण्डावर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन, सांसद का पुतला दहन

मुण्डावर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन करते हुए केंद्रीय मंत्री एवं अलवर सांसद भूपेंद्र यादव का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करने और स्थानीय पहचान मिटाने का आरोप लगाया।
बार काउंसिल मुण्डावर के अधिवक्ताओं ने भी विरोध दर्ज कराते हुए उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।


खैरथल नगरपरिषद प्रतिनिधियों का कलक्टर को ज्ञापन

खैरथल नगरपरिषद के सभापति, उपसभापति, पार्षद और मंडल अध्यक्ष सहित कई जनप्रतिनिधियों ने जिला कलक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। उनका कहना था कि खैरथल जिले का नाम और मुख्यालय परिवर्तन जनता की भावनाओं पर सीधा प्रहार है और किसी भी सूरत में इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।


विपक्ष और कांग्रेस नेताओं की एकजुटता की अपील

विरोध प्रदर्शनों में कांग्रेस नेता और किशनगढ़ बास विधायक दीपचंद खैरिया, प्रधान बी.पी. सुमन, मुण्डावर विधायक ललित यादव, नगर परिषद विपक्ष नेता विक्रम सिंह चौधरी उर्फ विक्की चौधरी, बार काउंसिल सदस्य अधिवक्ता अखिलेश कौशिक, मुकेश कुमार मुक्कड़, जितेंद्र कौशिक सहित कई स्थानीय नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

दीपचंद खैरिया ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा—

“यह लड़ाई किसी पार्टी की नहीं, खैरथल की पहचान बचाने की है। अगर हम सभी दलों के लोग एकजुट हो जाएं, तो कोई भी ताकत हमारा मुख्यालय कहीं और ले जाने की हिम्मत नहीं कर सकती।”


ललित यादव की सख्त चेतावनी

मुण्डावर विधायक ललित यादव ने भी सरकार को खुली चेतावनी देते हुए कहा—

“किसी भी कीमत पर खैरथल जिले का नाम और मुख्यालय परिवर्तन नहीं होने देंगे। अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी, तो जनता सड़कों पर उतरकर कड़ा रुख अपनाएगी।”


पृष्ठभूमि: कैसे भड़का विवाद

4 अगस्त 2023 को कांग्रेस सरकार ने खैरथल-तिजारा जिले का गठन किया था, जिसे क्षेत्रीय जनता ने ऐतिहासिक उपलब्धि माना। लेकिन हाल ही में राज्य सरकार ने जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी और मुख्यालय बदलाव की चर्चाएं शुरू हो गईं।
यह निर्णय स्थानीय जनता, जनप्रतिनिधियों और वकीलों के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे खैरथल की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक पहचान मिट जाएगी।


आगे की राह

विरोध प्रदर्शनों के बीच नेताओं ने साफ किया है कि यह आंदोलन अब सिर्फ ज्ञापन तक सीमित नहीं रहेगा। अगर सरकार ने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया, तो क्षेत्र में व्यापक जनआंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
जनप्रतिनिधियों का कहना है कि “खैरथल की अस्मिता की लड़ाई अंतिम सांस तक लड़ी जाएगी।”

विशेष:- रिपोर्ट, ताराचन्द खोयड़ावाल, संपादक: प्रगति न्यूज

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