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गांव रसगन के स्कूल के बाहर जलभराव से शिक्षा पर संकट, जिम्मेदारों की आंखें बंद

गांव रसगन के स्कूल के बाहर जलभराव से शिक्षा पर संकट, जिम्मेदारों की आंखें बंद

रसगन (प्रगति न्यूज़) — महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रसगन के मेन गेट से गांव की ओर जाने वाले मार्ग पर लंबे समय से जलभराव की समस्या बनी हुई है। विद्यालय के प्रधानाचार्य प् द्वारा कई बार लिखित में संबंधित विभाग और ग्राम पंचायत को अवगत कराने के बावजूद आज तक पानी निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई।

इस जलभराव के कारण विद्यालय में आने-जाने वाले बच्चों को रोज़ाना भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार बच्चे पानी में फिसलकर गिर जाते हैं, कपड़े और किताबें भीग जाती हैं, और उन्हें मजबूरन छुट्टी लेनी पड़ती है। इससे बच्चों की पढ़ाई पर सीधा असर पड़ रहा है और शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा आ रही है।

गांव के जाटव समाज रसगन के अध्यक्ष अमीलाल डाँगी द्वारा भी कई बार पंचायत प्रशासन को अवगत कराया गया, लेकिन ग्राम पंचायत सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी मानो आंखें मूंदे बैठे हैं। यह स्थिति न केवल लापरवाही का उदाहरण है बल्कि बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन भी है।

मजदूर विकास फाउंडेशन के संस्थापक ताराचन्द खोयड़ावाल ने मौके पर पहुंचकर जलभराव की वीडियो ग्राफी की और पंचायत प्रशासन को सात दिन का अल्टीमेटम दिया। श्री खोयड़ावाल ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि—
"यदि 7 दिवस के भीतर पानी निकासी और जलभराव रोकने की उचित कार्यवाही नहीं की गई, तो मजदूर विकास फाउंडेशन मजबूर होकर कानूनी कार्रवाई करेगा।"

कानूनन, इस तरह की लापरवाही न केवल ग्राम पंचायत अधिनियम के तहत सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी की जवाबदेही तय करती है, बल्कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत भी मामला दर्ज हो सकता है।





अब सवाल यह है

  • क्या बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई की गारंटी देने वाले अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे?
  • या फिर गांव के भविष्य के साथ ऐसे ही खिलवाड़ होता रहेगा?

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