प्रगति न्यूज विशेष रिपोर्ट ताराचन्द खोयड़ावाल, खैरथल-तिजारा, 3 जुलाई, श्री जाटव समाज संस्थान में वर्षों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके एक पूर्व पदाधिकारी ने संस्था की वर्तमान कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए सार्वजनिक रूप से संकेत दिया है कि वे अपनी सदस्यता से जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं। उनका यह फैसला समाज में व्यापक चर्चा का विषय बन गया है।
पूर्व पदाधिकारी ने अपने बयान में कहा—
“जिस उद्देश्य से इस संस्था की नींव रखी गई थी — जैसे समाज के वंचित वर्ग को न्याय दिलवाना, ज़रूरतमंदों की सहायता करना और सामाजिक नेतृत्व तैयार करना — वह भावना अब संगठन में कहीं खो सी गई है। ऐसे में केवल नाम से जुड़े रहना आत्मा के साथ धोखा है।”
❖ संगठन के प्रति निष्ठा, पर दिशा से असहमति
पूर्व पदाधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि उनका फैसला व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं बल्कि वैचारिक मतभेद के आधार पर है। उन्होंने कहा कि संस्था में अब निर्णय पारदर्शिता से नहीं लिए जा रहे हैं और सामाजिक कार्य केवल आयोजन या भाषणों तक सीमित होकर रह गए हैं।
❖ संगठन सिमटने की चेतावनी
उन्होंने यह भी कहा कि—
“यदि संगठन में ईमानदार, निस्वार्थ और समाज के लिए समर्पित कार्यकर्ता खुद को अलग करने लगेंगे, तो संस्था धीरे-धीरे सिमट जाएगी और केवल रस्मी कार्यक्रमों का मंच बनकर रह जाएगी।”
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❖ समाज में हलचल
पूर्व पदाधिकारी की यह प्रतिक्रिया सामने आने के बाद समाज के कई जागरूक नागरिकों और युवाओं के बीच बहस शुरू हो गई है। कई लोगों ने संगठन से जवाबदेही और सुधार की मांग उठाई है, वहीं कुछ ने यह भी कहा कि यह सही समय है जब संगठन को आत्ममंथन करना चाहिए।
❖ क्या होगा आगे?
हालांकि संस्था की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पूर्व पदाधिकारी के इस संकेत ने निश्चित रूप से संस्था की छवि और स्थायित्व को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह इस्तीफा सिर्फ पद से नहीं, बल्कि संस्था के मूल विचारों से हो रही दूरी के खिलाफ एक आवाज भी माना जा रहा है।