सीजेएम कोर्ट ने सुनवाई से पहले दी सफाई का अवसर, शिक्षा विभाग पर भी उठे सवाल
झालावाड़ — जिले में सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी न देने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट ने जिलाधिकारी (DM) अजय सिंह राठौड़ और अतिरिक्त जिलाधिकारी (ADM) सत्यनारायण आमेठा को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223(2)(ख) के तहत अभियुक्त मानते हुए किसी प्रकार का प्रसंज्ञान लेने से पहले सुनवाई का अवसर देने की बात कही है।
पीड़ित प्रमोद कुमार टेलर ने अदालत में परिवाद दायर किया था, जिसमें कहा गया कि उन्होंने वार्ड 22 स्थित लेसिया स्मार्ट किड्स स्कूल की मान्यता को लेकर आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी थी, जो उन्हें नहीं दी गई। जानकारी न देने के पीछे विभाग ने "गोपनीय दस्तावेज" का हवाला दिया।
डीएम का पक्ष:
डीएम अजय सिंह राठौड़ ने नोटिस का जवाब देने की बात कही है और स्पष्ट किया कि मामला शिक्षा विभाग से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि आरटीआई में मांगी गई जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है और उसी के अनुसार विभाग को अवगत कराया गया।
स्कूल की मान्यता पर सवाल:
शिकायतकर्ता प्रमोद टेलर ने 2024 में RTE पोर्टल पर वार्ड 22 के स्कूल में आवेदन किया था, लेकिन जांच में स्कूल उस स्थान पर मौजूद नहीं मिला। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) को शिकायत की गई।
DEO की कार्रवाई:
प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी हंसराज मीणा के अनुसार, जांच में स्कूल के अस्तित्व की पुष्टि नहीं हुई, जिसके बाद तीन नोटिस जारी किए गए। अब स्कूल की मान्यता समाप्त करने के लिए शिक्षा निदेशक बीकानेर को पत्र लिखा गया है।
प्रभाव:
यह मामला न केवल सूचना के अधिकार की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आम नागरिकों को सूचना नहीं मिलने पर न्यायपालिका कैसे हस्तक्षेप कर सकती है। अब देखना होगा कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान डीएम और एडीएम क्या पक्ष रखते हैं और शिक्षा विभाग से क्या कार्रवाई होती है।