तुर्की का 'नरक का द्वार': एक रहस्यमयी मंदिर की वैज्ञानिक सच्चाई

तुर्की के डेनिज़ली प्रांत में स्थित प्राचीन शहर हीरापोलिस (Hierapolis) में एक रहस्यमयी स्थान है, जिसे 'नरक का द्वार' या Pluto's Gate कहा जाता है। यह स्थान प्राचीन रोमन काल का एक मंदिर है, जो मृत्यु के देवता प्लूटो को समर्पित था। सदियों से इस मंदिर के बारे में मान्यता रही है कि यहां जो भी जीव प्रवेश करता है, वह जीवित बाहर नहीं आ पाता।

रहस्य का वैज्ञानिक कारण

2018 में इटली के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में इस रहस्य की सच्चाई सामने आई। उन्होंने पाया कि मंदिर के उस क्षेत्र में एक भूमिगत दरार से उच्च मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO₂) निकलती है। मंदिर के तल में गैस का स्तर इतना अधिक होता है कि यह 91% तक शुद्ध CO₂ बन जाता है। चूंकि यह गैस हवा से भारी होती है, यह ज़मीन के पास इकट्ठा हो जाती है और वहां मौजूद किसी भी छोटे जीव—जैसे पक्षी, कीड़े या छोटे जानवर—को कुछ ही पलों में मार देती है।

धार्मिक आस्था बनाम वैज्ञानिक दृष्टिकोण

प्राचीन समय में लोग इस मंदिर को दैवी शक्ति का प्रतीक मानते थे। पुजारी मंदिर में जाकर सुरक्षित बाहर आ जाते थे, जिससे लोगों को लगता था कि वे देवताओं से वरदान प्राप्त हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने बताया कि पुजारी ऊँचाई या वेंटिलेशन वाले स्थानों पर खड़े होते थे, जहां गैस का प्रभाव कम होता था।

आधुनिक समय में आकर्षण

आज यह स्थान एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक धरोहर और पर्यटक आकर्षण बन चुका है। 'नरक का द्वार' न केवल इतिहास की धार्मिक मान्यताओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे प्रकृति की शक्तियाँ धर्म और रहस्यों का रूप ले सकती हैं।



 


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