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माँ की चिता से पहले चांदी के गहनों पर झगड़ा: रिश्तों की राख में सुलगती मानवता

माँ की चिता से पहले चांदी के गहनों पर झगड़ा: रिश्तों की राख में सुलगती मानवता

लिलो का बास, विराटनगर: एक माँ जो जीवन भर अपने बच्चों के लिए तपती रही, उसी की चिता के सामने उसकी संतानों ने ऐसा व्यवहार किया कि पूरा गांव शर्मसार हो गया। इंसानियत की हदें उस वक्त टूटती नजर आईं जब अंतिम संस्कार से पहले बेटों ने माँ के शरीर से चांदी के गहने उतारने को लेकर आपस में झगड़ा शुरू कर दिया।

श्मशान घाट पर जहाँ आँसू बहने चाहिए थे, वहाँ लालच का ज़हर बह रहा था। माँ की मृत देह सामने थी, लेकिन बेटों की आँखों में सिर्फ गहनों की चमक थी। जिस माँ ने अपने खून-पसीने से बच्चों को बड़ा किया, उसी की विदाई को भी उन्होंने सौदेबाज़ी का ज़रिया बना डाला।

ग्रामीणों ने मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए दोनों पक्षों को समझाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन गहनों की भूख रिश्तों की हर सीमा को लांघ चुकी थी। यह दृश्य देखकर बुज़ुर्गों की आँखें नम हो गईं और कई महिलाओं ने सिर झुका लिया।

समाजसेवियों और गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक पारिवारिक झगड़ा नहीं, बल्कि समाज की उस गिरती सोच का प्रतीक है जहाँ रिश्ते संपत्ति के नीचे दबकर दम तोड़ रहे हैं।

क्या यही हमारा भविष्य है?
अगर माँ के संस्कार से ज्यादा कीमती उसकी चांदी हो गई है, तो हमें खुद से पूछना होगा – क्या हमने इंसान होने का हक़ खो दिया है?

समाज और प्रशासन दोनों को चाहिए कि ऐसी घटनाओं पर सिर्फ अफसोस न जताएं, बल्कि सख़्ती से नज़ीर पेश करें ताकि अगली पीढ़ी के रिश्तों को लालच की आग में जलने से बचाया जा सके।



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