आस्था और परंपरा का केंद्र
बालक दास महाराज जी की भक्ति, सेवा और समाज के प्रति समर्पण भावना को समर्पित यह मेला वर्षों से ग्राम रसगन की सांस्कृतिक पहचान बना हुआ है। यह आयोजन केवल धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण समाज को जोड़ने, मेल-जोल बढ़ाने और परंपराओं को सहेजने का एक अनूठा अवसर बन गया है।
भंडारा – प्रसाद का आयोजन
मेले का प्रमुख आकर्षण भव्य भंडारा होता है जिसमें हज़ारों श्रद्धालु एक साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह केवल भोजन नहीं, बल्कि सामूहिक भक्ति और सेवा का प्रतीक होता है। ग्रामीणजन तन-मन-धन से इस आयोजन में सेवा भाव से जुड़ते हैं, जिसमें हर जाति, वर्ग और आयु के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं – यही है भारतीय संस्कृति की आत्मा।
कुश्ती – परंपरा और खेल का संगम
इस वर्ष मेले में कुश्ती प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है, जिसमें आसपास के गांवों और जिलों से नामी पहलवान भाग लेंगे। यह आयोजन युवाओं में खेल भावना और अनुशासन को बढ़ावा देता है। कुश्ती हमारे ग्रामीण अंचल की एक पुरानी परंपरा है जो आज भी लोगों को रोमांच और उत्साह से भर देती है।
हाट-बाजार और दुकानों का आकर्षण
मेले में तरह-तरह की दुकानें सजेंगी जिनमें बच्चों के खिलौने, ग्रामीण हस्तशिल्प, मिठाइयाँ, झूले और घरेलू सामान उपलब्ध रहेंगे। यह मेला व्यापारियों के लिए भी एक अच्छा अवसर होता है और ग्रामीणों के लिए खरीदारी और मनोरंजन का केंद्र बनता है।
ग्रामवासियों का सहयोग – आयोजन की रीढ़
इस आयोजन की सबसे खास बात है कि यह किसी एक व्यक्ति या संस्था नहीं, बल्कि पूरे ग्राम रसगन के सामूहिक प्रयास और सहयोग से संपन्न होता है। सभी परिवार, युवा, महिलाएँ और बुजुर्ग अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं — कोई भंडारे में, कोई आयोजन व्यवस्था में, तो कोई स्वागत-सत्कार में।
आप सभी सादर आमंत्रित हैं
ग्राम रसगन के समस्त ग्रामवासी व भक्तजन सभी श्रद्धालुओं, ग्रामीणों एवं आसपास के गांवों से आने वाले भाइयों-बहनों को सादर आमंत्रित करते हैं कि वे पधारकर इस भक्ति-उत्सव में सम्मिलित हों और बालक दास महाराज जी की कृपा के पात्र बनें।
तिथि: 18 मई 2025 (रविवार)
स्थान: ग्राम रसगन, जिला खैरथल-तिजारा
आयोजक: ग्राम रसगनवासी व भक्तजन
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