Latest News: Loading latest news...
प्रयागराज की दरगाह पर भगवा झंडा फहराना: धार्मिक भावना नहीं, साम्प्रदायिक गुंडागर्दी
📲 Install / Download App

प्रयागराज की दरगाह पर भगवा झंडा फहराना: धार्मिक भावना नहीं, साम्प्रदायिक गुंडागर्दी

प्रयागराज की दरगाह पर भगवा झंडा फहराना: धार्मिक भावना नहीं, साम्प्रदायिक गुंडागर्दी
प्रयागराज की दरगाह पर भगवा झंडा फहराने और मजार हटाने की मांग जैसे कृत्य भारत में बढ़ती साम्प्रदायिकता के खतरनाक संकेत हैं। जानिए क्यों यह धार्मिक भावना नहीं, बल्कि गुंडागर्दी है।


उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने न सिर्फ संविधानिक मूल्यों को चुनौती दी, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को भी शर्मसार किया। कुछ लोगों ने एक दरगाह पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया, आपत्तिजनक नारे लगाए और मजार को हटाने की मांग की। यह घटना केवल एक धार्मिक स्थल पर हमले की नहीं, बल्कि भारत की बहुलतावादी सोच पर सीधा हमला है।


धार्मिक भावना या साम्प्रदायिक गुंडागर्दी?

इस घटना को 'धार्मिक भावना' बताकर जायज़ ठहराना न केवल सच्चाई से मुंह मोड़ना है, बल्कि असल में साम्प्रदायिक मानसिकता को बढ़ावा देना है।
धर्म के नाम पर किसी समुदाय के प्रतीकों, स्थलों और विश्वासों पर हमला करना, भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की साज़िश है।


समाज में ज़हर बनकर दौड़ती साम्प्रदायिकता

आज धर्म की आड़ में जो नफरत फैलाई जा रही है, वह किसी एक घटना तक सीमित नहीं। यह उस मानसिकता का नतीजा है जो सोशल मीडिया, टीवी डिबेट्स और राजनीतिक भाषणों के ज़रिए लगातार फैल रही है।
यह ज़हर अब समाज के एक बड़े हिस्से की रगों में दौड़ने लगा है, जो भारत की सबसे बड़ी ताक़त—सद्भाव और एकता—के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है।


कानून और प्रशासन की भूमिका

प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे कृत्यों को गंभीरता से ले और दोषियों के खिलाफ सख़्त कार्यवाही करे। यदि समय रहते ऐसे मामलों पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह भविष्य में और बड़े सामाजिक टकराव को जन्म दे सकता है।


भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां हर धर्म, जाति और समुदाय को बराबरी का अधिकार है। धर्म के नाम पर हिंसा, नफरत और असहिष्णुता को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

हमें यह समझना होगा कि “धर्म की आड़ में पनपती साम्प्रदायिकता हमारे समाज की रगों में ज़हर बनकर दौड़ रही है”—और इसका इलाज समय रहते जरूरी है।


संपादक:- ताराचन्द खोयड़ावाल

Post a Comment

और नया पुराने

ads