न्यायमूर्ति फरजंद अली की एकलपीठ ने कहा कि जनरल कैटेगरी एक “ओपन मेरिट कैटेगरी” है, जिसमें सभी उम्मीदवार—चाहे वे किसी भी वर्ग से हों—यदि उच्च अंक लाते हैं तो शामिल होने का अधिकार रखते हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
एक OBC महिला अभ्यर्थी ने चयन परीक्षा में सामान्य महिला वर्ग की कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए थे, लेकिन विभाग ने उसे आरक्षित श्रेणी में ही समायोजित किया। अभ्यर्थी ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की शरण ली।
अदालत ने पाया कि अभ्यर्थी ने किसी भी प्रकार की रियायत नहीं ली थी और उसकी मेरिट सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से अधिक थी। ऐसे में उसे अनिवार्य रूप से सामान्य वर्ग में ही स्थान दिया जाना चाहिए।
अदालत के प्रमुख निर्देश
- आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार जो मेरिट में सामान्य उम्मीदवारों से ऊपर हो, उसे जनरल कैटेगरी में स्थान देना अनिवार्य है।
- ऐसा करने से आरक्षित वर्ग की सीट खाली होगी, जिसे नियमों के अनुसार अगले योग्य उम्मीदवार से भरा जाएगा।
- केवल परीक्षा शुल्क जैसी मामूली रियायत को “रिजर्वेशन लाभ” नहीं माना जाएगा।
- यदि उम्मीदवार ने आयु-छूट या अन्य विशेष रियायत ली है, तभी वह सामान्य वर्ग में नहीं जा सकता।
क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
यह आदेश सुनिश्चित करता है कि—
- चयन प्रक्रिया पूरी तरह मेरिट-आधारित रहे।
- आरक्षित श्रेणी की सीटें वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचें।
- उच्च अंक लाने वाले आरक्षित उम्मीदवारों का अधिकार सुरक्षित रहे।
अदालत की टिप्पणी
न्यायालय ने कहा कि जनरल कैटेगरी सभी के लिए खुली है और इसमें शामिल होने का एकमात्र आधार मेरिट है। उच्च मेरिट होने पर किसी उम्मीदवार को उसकी जाति या वर्ग के कारण जनरल में आने से रोका नहीं जा सकता।
