खैरथल में दलितों पर हमले को लेकर श्री जाटव समाज संस्थान की बैठक – नेतृत्व पर सवाल

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आज दिनांक 15 जून 2025 को सुबह 9:30 बजे अजीजपुर में दलितों पर हुए हमले को लेकर खैरथल के अम्बेडकर भवन में श्री जाटव समाज संस्थान द्वारा एक महत्वपूर्ण सभा आयोजित की गई है। यह सभा पीड़ितों को न्याय दिलाने, आरोपियों की गिरफ्तारी की माँग और प्रशासनिक निष्क्रियता पर चर्चा हेतु रखी गई है।

हालांकि यह संगठन स्वयं को गैरराजनीतिक कहता है, मगर वर्तमान अध्यक्ष पर भारतीय जनता पार्टी के दबाव में कार्य करने के आरोप लग रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष स्वयं अब नेतृत्व से पीछे हटने की सोच में हैं। ऐसे में सवाल उठता है:

🔹 क्या अध्यक्ष निष्पक्ष नेतृत्व दे पाएंगे?

जब 59 हमलावरों के नाम FIR में दर्ज हैं और अब तक केवल 4 की गिरफ्तारी हुई है, तो यह प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक संरक्षण की ओर इशारा करता है। यदि अध्यक्ष इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहते हैं, तो समाज का भरोसा नेतृत्व से उठना स्वाभाविक है।

🔹 क्या बिना नेतृत्व के पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा?

नेतृत्व विहीन आंदोलन अक्सर दिशाहीन हो जाते हैं। यदि अध्यक्ष वाकई पीछे हटते हैं, तो या तो नया सशक्त नेतृत्व सामने आए या समाज के सामूहिक नेतृत्व को जिम्मेदारी लेनी होगी।

🔹 क्या अध्यक्ष को इस्तीफा दे देना चाहिए?

यदि अध्यक्ष राजनीतिक दबाव के चलते सामाजिक न्याय की बात नहीं कर पा रहे हैं, तो यह उनके नैतिक दायित्व के खिलाफ है। ऐसे में समाज के भीतर से आवाज उठ रही है कि यदि वो सामाजिक जिम्मेदारी नहीं निभा सकते, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए ताकि कोई सच्चा और ईमानदार नेतृत्व सामने आ सके।

🔹 क्या इस्तीफा देने से पीड़ितों पर असर होगा?

यदि अध्यक्ष पद से हटते हैं और कोई और प्रभावी नेतृत्व सामने आता है, तो यह पीड़ितों के लिए आशा की किरण बन सकता है। लेकिन यदि इस्तीफे के बाद संगठन नेतृत्वहीन हो जाए, तो इससे न केवल पीड़ित, बल्कि पूरा समाज हतोत्साहित हो सकता है।


यह समय राजनीतिक समीकरण नहीं, सामाजिक न्याय की बात करने का है। समाज के प्रबुद्धजन यदि लगातार अध्यक्ष के इस्तीफे की बात कह रहे हैं, तो यह नेतृत्व की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न है। अब यह अध्यक्ष को तय करना है कि वह पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे या समाज के प्रति जवाबदेह



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