अजीजपुर में दलित परिवारों पर हमला: 70 हमलावरों का तांडव, पुलिस पर पक्षपात का आरोप मजदूर विकास फाउंडेशन ने पुलिस महानिदेशक को लिखा पत्र

अजीजपुर में दलित परिवारों पर हमला: 70 हमलावरों का तांडव, पुलिस पर पक्षपात का आरोप मजदूर विकास फाउंडेशन ने पुलिस महानिदेशक को लिखा पत्र
अलवर/खैरथल तिजारा, 13 जून 2025  राजस्थान के अलवर जिले के गांव अजीजपुर, थाना ततारपुर क्षेत्र में 21 मई 2025 की सुबह लगभग 5 बजे, दलित समुदाय (जाटव समाज) के परिवारों पर ओढ़ राजपूत समाज के लगभग 70 लोगों द्वारा सुनियोजित हमला किया गया। इस घटना ने सामाजिक तानेबाने और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

700 मीटर दूर से आए हमलावर, गांव में मचाया आतंक

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हमलावर लगभग 700 मीटर दूर से एकत्र होकर हथियारों से लैस होकर गांव में घुसे और दलित परिवारों के घरों पर हमला बोल दिया। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों तक को नहीं बख्शा गया। कई लोग घायल हुए, घरों में तोड़फोड़ की गई और माहौल में भय भर दिया गया।

FIR तो दर्ज हुई, लेकिन जांच में ढिलाई

थाना ततारपुर में FIR संख्या 100/2025 दर्ज की गई जिसमें 59 नामजद आरोपी थे, परंतु हैरानी की बात है कि 20 दिन तक सिर्फ 4 लोगों की गिरफ्तारी हुई। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि जानबूझकर गंभीर धाराएं नहीं लगाई गईं, जिससे मुकदमा कमजोर हो गया।

पुलिस पर गंभीर आरोप: “जांच अधिकारी हमलावरों की जाति से”

पीड़ितों ने जांच अधिकारी राजेन्द्र निर्वाण (उप अधीक्षक, किशनगढ़ बास) पर पक्षपात का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि निर्वाण हमलावरों की ही जाति से हैं और उन्होंने स्पष्ट रूप से एकतरफा कार्रवाई की। बयान लेने के दौरान भी पीड़ितों पर दबाव बनाकर जबरन राजीनामा करवाने की कोशिश की गई।

झूठे मुकदमों का सहारा लेकर दबाव

घटना के 5 दिन बाद, महिला थाना खैरथल में FIR संख्या 029 दर्ज की गई, जिसमें दलित पक्ष के युवाओं और पढ़ने वाले बच्चों के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि यह मुकदमा भी उन्हें डराने और समझौते के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से दर्ज किया गया।

पुलिस के बयान: “तुम्हारी तरफ से भी गिरफ्तारी हो सकती है”

जब पीड़ित पक्ष न्याय की मांग को लेकर पुलिस अधीक्षक खैरथल तिजारा व उपाधीक्षक किशनगढ़ बास से मिलने गया, तो उन्हें उल्टा धमकाया गया और कहा गया – “राजीनामा कर लो, नहीं तो तुम्हारी तरफ से भी गिरफ्तारी होगी।”

जातीय दमन के खिलाफ न्याय की मांग

पीड़ित समुदाय और समाजसेवी संगठनों ने मांग की है कि:

  • सभी मुख्य आरोपियों की अविलंब गिरफ्तारी की जाए
  • महिला थाना FIR 029 को झूठा करार देते हुए FR पेश की जाए
  • जांच अधिकारी राजेन्द्र निर्वाण को हटाकर निष्पक्ष अधिकारी से जांच करवाई जाए
  • पीड़ित पक्ष को पुलिस सुरक्षा और मुआवजा दिया जाए
  • इस घटना की SC/ST आयोग एवं मानवाधिकार आयोग से स्वतंत्र जांच करवाई जाए

क्या वाकई “कानून से ऊपर जातिवादी मानसिकता”?

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि संविधान और कानून की मौजूदगी के बावजूद समाज में जातीय अत्याचार और पुलिस का सामंतवादी झुकाव खत्म नहीं हुआ है। दलित समुदाय के लोग आज भी न्याय के लिए सड़कों पर संघर्ष करने को मजबूर हैं।


विशेष रिपोर्ट:- प्रगति न्यूज़ / मजदूर विकास फाउंडेशन
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