श्रीमान ने हमेशा निस्वार्थ भाव से सामाजिक कार्यों में भागीदारी निभाई है। वे न केवल मंचों पर समाज की बात करते हैं, बल्कि ज़मीन पर उतरकर बदलाव की लड़ाई भी लड़ते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है 2 अप्रैल 2018 का आंदोलन, जब देशभर में दलित, पिछड़ा और वंचित समाज अपने अधिकारों की आवाज़ बुलंद कर रहा था।
उस ऐतिहासिक संघर्ष में श्री लक्ष्मीनारायण जी ने न केवल भाग लिया, बल्कि 16 दिनों तक जेल में रहकर यह सिद्ध किया कि अधिकारों की रक्षा केवल बातों से नहीं, बल्कि बलिदान और साहस से होती है। यह बलिदान आज भी समाज के युवाओं को जागरूकता और हिम्मत की राह दिखाता है।
उनकी सोच हमेशा समावेशी रही है — एक ऐसा समाज जहाँ न्याय, समानता और सम्मान हर व्यक्ति का अधिकार हो। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि व्यक्तिगत कठिनाइयों से ऊपर उठकर जब कोई जनहित में कार्य करता है, तो वह इतिहास बन जाता है।
आज, उनके जन्मदिवस के अवसर पर, हम उनके दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और सामाजिक उत्थान की दिशा में निरंतर सक्रिय रहने की कामना करते हैं।
श्री लक्ष्मीनारायण जी जैसे व्यक्तित्व समाज की असली पूँजी हैं — उनका संघर्ष, उनकी निष्ठा और उनके विचार सदैव प्रेरणा का स्रोत बने रहें।
ताराचन्द खोयड़ावाल
(संस्थापक – मजदूर विकास फाउंडेशन,
संपादक – प्रगति न्यूज़,
RTI एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता)