भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) ने भारतीय आपराधिक कानून को नया रूप और विस्तार दिया है। इसकी धारा 48 एक महत्वपूर्ण प्रावधान लेकर आई है, जो देश की सीमाओं से परे जाकर भी अपराधियों को पकड़ में लाने का रास्ता साफ करती है।
इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर रहकर भारत में किसी अपराध को अंजाम देने की योजना बनाता है, उसे उकसाता है या किसी भी रूप में उसका संचालन करता है — तो उसे वही सजा दी जाएगी जैसी कि अपराध को प्रत्यक्ष रूप से अंजाम देने वाले व्यक्ति को मिलती।
यह प्रावधान विशेष रूप से उन मामलों में कारगर होगा जहाँ अपराध की जड़ें भारत के बाहर होती हैं, लेकिन उसका प्रभाव भारत में पड़ता है — जैसे साइबर क्राइम, आतंकवाद, मानव तस्करी, वित्तीय धोखाधड़ी आदि।
धारा 48 का संदेश साफ है:
अब कानून की पकड़ सिर्फ ज़मीन तक नहीं, वर्चुअल और वैश्विक सीमाओं तक भी है।
अपराध कहीं से भी किया जाए, भारत की न्याय व्यवस्था अब उसे बख्शने वाली नहीं है।
धारा 48 यह सुनिश्चित करती है कि अपराधी चाहे देश में हो या विदेश में, यदि उसका उद्देश्य भारत में अपराध करवाना है, तो उसे कानून का सामना करना ही होगा। यह प्रावधान राष्ट्रीय सुरक्षा और न्याय प्रणाली को और अधिक मजबूत करता है।