ड्रिल की शुरुआत युद्ध सायरन बजाकर की गई, जिससे आमजन में वास्तविकता का अनुभव कराया गया। इसके बाद अधिकारियों ने लोगों को समझाया कि अगर युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो उन्हें क्या करना चाहिए, कहां शरण लेनी चाहिए, और किन सावधानियों का पालन करना चाहिए।
राज्य के गृह विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की देखरेख में आयोजित इस मॉक ड्रिल में पुलिस, सिविल डिफेंस, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन की टीमें शामिल रहीं। स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर और बाजार क्षेत्रों में भी सुरक्षा अभ्यास कराया गया, ताकि सभी वर्गों के लोग इस प्रशिक्षण से लाभान्वित हो सकें।
अधिकारियों ने बताया कि इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी आपात स्थिति में जनता घबराए नहीं, बल्कि प्रशिक्षित और सजग होकर सही निर्णय ले सके।
लोगों में जागरूकता जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि मॉक ड्रिल न केवल जनता को जागरूक करती है, बल्कि प्रशासन को भी अपनी तैयारियों की समीक्षा करने का अवसर देती है। इससे यह भी पता चलता है कि कौन-कौन से क्षेत्र आपदा के लिहाज से संवेदनशील हैं और वहां क्या सुधार किए जा सकते हैं।
राजस्थान की यह पहल सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे अभ्यास न केवल वर्तमान तनाव के मद्देनजर जरूरी हैं, बल्कि भविष्य की किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आमजन को मानसिक रूप से तैयार करते हैं।