हाल ही में राजस्थान विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री टीकाराम जूली द्वारा अलवर में भगवान श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेकर भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना की गई। यह एक सर्वसमाज के आराध्य भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति का भाव था। परंतु, इस धार्मिक आयोजन के पश्चात आपने जिस प्रकार मंदिर में जाकर भगवान श्रीराम की 'गंगाजल से पवित्रता' करने का कृत्य किया, वह न केवल निंदनीय है, बल्कि संविधान, सनातन धर्म और दलित समाज का सीधा अपमान है।
आपका यह कृत्य दर्शाता है कि आप मानते हैं कि दलित समुदाय का कोई व्यक्ति यदि भगवान की पूजा करे, तो भगवान अपवित्र हो जाते हैं। यह विचार सामाजिक समरसता के विरुद्ध है। आप कौन-सी ऐसी शक्ति रखते हैं जो भगवान श्रीराम को 'शुद्ध' कर सकती है? जब भगवान स्वयं सर्वव्यापी हैं, सबमें समाहित हैं, तो क्या कोई मानव उन्हें अपवित्र या पवित्र कर सकता है?
आप यह भी कहते हैं कि दलित समाज आपके "भक्त" हैं, और फिर वही समाज यदि किसी मंच पर भगवान की पूजा करे, तो आपको शुद्धिकरण करना पड़ता है। यह आपका दोहरा चरित्र उजागर करता है।
आपका यह कार्य न केवल भारत के संविधान के समता मूलक सिद्धांतों का अपमान है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द को भी खंडित करता है। यह कृत्य एक जिम्मेदार राजनेता की मर्यादा के पूर्णतः विपरीत है और समाज में जातिगत घृणा फैलाने वाला है।
हमारी माँग है कि आप बिना शर्त सार्वजनिक रूप से माफी माँगें। यदि आपने ऐसा नहीं किया, तो दलित समाज आपको कभी क्षमा नहीं करेगा और आपके इस अपमानजनक कृत्य के विरुद्ध उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा।
दलित एक हैं, और एक रहेंगे।
जय भीम। जय भारत। जय संविधान।
राम बाबू जाटव
अध्यक्ष, श्री जाटव समाज संस्थान
जिला – खैरथल तिजारा
अध्यक्ष, अनुसूचित जाति जनजाति संयुक्त आंदोलन समिति
जिला – खैरथल तिजारा