राम की धरती पर भेदभाव क्यों, टीकाराम जूली का अपमान नहीं, एक पूरे समाज का अपमान है कांग्रेस वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद : भंवर जितेंद्र सिंह

राम की धरती पर भेदभाव क्यों? — टीकाराम जूली का अपमान नहीं, एक पूरे समाज का अपमान है  कांग्रेस वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद : भंवर जितेंद्र सिंह

राम की धरती पर भेदभाव क्यों? — टीकाराम जूली का अपमान नहीं, एक पूरे समाज का अपमान है

कांग्रेस वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद : भंवर जितेंद्र सिंह

जिस भारतभूमि की रग-रग में राम बसते हैं, जहां "सबको समान देखने" की शिक्षा देने वाली सनातन संस्कृति की जड़ें हैं, उसी धरती पर आज भी जाति और भेदभाव के आधार पर अपमानजनक घटनाएं हो रही हैं—यह केवल चिंता का विषय नहीं, बल्कि शर्म की बात है।


हाल ही में राजस्थान के अलवर ज़िले में एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय घटना सामने आई। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली जब अलवर के एक श्रीराम मंदिर में दर्शन करने पहुँचे, तो उनके जाने के बाद मंदिर में गंगाजल छिड़कवाया गया—जैसे उनकी उपस्थिति ने मंदिर को "अपवित्र" कर दिया हो। इससे भी अधिक चौंकाने वाला था पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा का बयान, जिसमें उन्होंने जूली जी के खिलाफ अमर्यादित और जातिसूचक टिप्पणी की।


यह केवल टीकाराम जूली का नहीं, बल्कि पूरे दलित समाज का अपमान है। यह उस सोच का परिचायक है, जो आज भी जातियों के आधार पर इंसान की गरिमा को बाँटती है।


टीकाराम जूली कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। वे जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं, जो वर्षों से समाज के हाशिये पर खड़े लोगों के अधिकारों की आवाज़ उठाते आ रहे हैं। वे राजस्थान की राजनीति में सामाजिक न्याय और बराबरी के प्रतीक बन चुके हैं। ऐसे नेता का केवल उसकी जाति के आधार पर अपमान करना, न सिर्फ संविधान का अपमान है, बल्कि राम के उस आदर्श को भी ठेस पहुंचाना है, जो "नर का नारायण" और "वंचित का संबल" माने जाते हैं।


भाजपा और उनके कुछ नेताओं की संकीर्ण सोच इस घटना में स्पष्ट दिखाई देती है। एक ओर वे राम के नाम पर राजनीति करते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं के आदर्शों की अवहेलना करते हैं।


क्या राम किसी एक जाति या वर्ग के देवता हैं?
क्या मंदिर केवल किसी विशेष समुदाय की संपत्ति है?

सनातन धर्म की आत्मा "वसुधैव कुटुम्बकम्" में बसती है, जो कहती है कि "पूरा विश्व एक परिवार है"। फिर राम के मंदिर में भेदभाव क्यों?


आज देश और समाज को ज़रूरत है एकजुटता, समरसता और भाईचारे की—not इस तरह की विभाजनकारी सोच की, जो समाज को पीछे ले जाती है।
हमें तय करना होगा कि हम किस ओर खड़े हैं—राम के साथ या रावण जैसी अहंकारी सोच के साथ।


यह लड़ाई केवल टीकाराम जूली की नहीं है। यह हर उस इंसान की लड़ाई है, जो समानता, सम्मान और न्याय में विश्वास रखता है।



 


Bharat Ka Apna Payments App-a UPI Payment App! 

Flat Rs 20 Cashback on Prepaid Mobile Recharge of Rs 199 and Above