वास्तविक अंबेडकरवाद से दूर होता युवा वर्ग

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ताराचन्द खोयड़ावाल @प्रगति न्यूज

14 अप्रैल को भारत डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती बड़े उत्साह के साथ मना रहा है। परंतु इस उत्सव के बीच एक विचारणीय प्रश्न भी उठता है – क्या आज का दलित युवा वर्ग वास्तविक अंबेडकरवाद से भटक रहा है?

बाबा साहेब के तीन स्तंभ: शिक्षा, संगठन और संघर्ष

डॉ. अंबेडकर ने जीवन भर केवल तीन बातें कहीं –

  • शिक्षित बनो
  • संगठित रहो
  • संघर्ष करो

इन तीन सिद्धांतों में ही सामाजिक क्रांति, आत्मसम्मान और समानता की कुंजी छिपी है।

आज का दलित युवा और सोशल मीडिया की दिखावटी क्रांति

आज सोशल मीडिया के ज़रिए अंबेडकर विचारधारा की पहुंच बढ़ी है, परंतु साथ ही दिखावा, फोटोबाजी, और घोषणात्मक क्रांति ने भी जगह बना ली है।
कई युवा बाबा साहेब को "फॉलो" करने का दावा तो करते हैं, लेकिन उनके सिद्धांतों पर चलने का व्यवहार नहीं करते।

फेसबुक-व्हाट्सऐप की सीमित क्रांति

  • किताबों के साथ फोटो,
  • स्टेटस अपडेट्स,
  • जयंती और परिनिर्वाण दिवस पर आयोजन —
    ये सब दिखावे के आयोजन बन गए हैं, जिनका जमीनी स्तर पर कोई सामाजिक परिवर्तन नहीं दिखता।

शिक्षा का मतलब सिर्फ डिग्री नहीं, सतत अध्ययन है

शिक्षा का वास्तविक अर्थ केवल सरकारी नौकरी पाना नहीं, बल्कि जीवनभर सीखते रहना है –

  • संविधान को समझना
  • सामाजिक इतिहास जानना
  • विभिन्न विषयों पर चिंतन-मनन करना

आज अधिकतर युवाओं के पास डिग्री है, लेकिन ज्ञान, विचार और संवैधानिक समझ का अभाव है।

संगठन: नाम अधिक, काम कम

आज हर गली, हर मोहल्ले में एक नया संगठन बन रहा है। लेकिन–

  • एकजुटता नहीं है,
  • विचारों की स्पष्टता नहीं है,
  • कार्य का कोई ठोस आधार नहीं है।

किसी घटना पर एकजुट होने की बजाय, बैनर की राजनीति, आलोचना, और स्वार्थी नेतृत्व हावी है।

संघर्ष का मतलब लड़ाई नहीं, न्याय के लिए सजग प्रयास है

आज कुछ युवा संघर्ष के नाम पर अनावश्यक टकराव, FIR, और गिरफ्तारी तक पहुंच जाते हैं। इससे समाज को लाभ नहीं, बल्कि नुकसान होता है।

बाबा साहेब ने संघर्ष सिखाया था –

  • वैचारिक,
  • संवैधानिक,
  • न्यायिक,
  • नैतिक आधार पर।

दलित युवाओं के सामने चुनौती: खुद को सजग और सक्षम बनाना

अगर दलित युवा वर्ग वाकई अंबेडकर अनुयायी बनना चाहता है, तो उसे चाहिए:

1. गहन अध्ययन

  • अंबेडकर की रचनाएं पढ़ें
  • संविधान, कानून और सामाजिक विज्ञान समझें

2. डिजिटल से ग्राउंड पर उतरें

  • मोबाइल से बाहर निकलें
  • धरातल पर समाज की सेवा करें

3. दिखावे की बजाय दिशा दें

  • क्रांति फेसबुक से नहीं, फील्ड वर्क से आती है
  • संगठनों की राजनीति छोड़कर वास्तविक परिवर्तन की राह अपनाएं

4. एक आदर्श नागरिक की तरह जीवन जिएं

  • भाषा, पहनावा, व्यवहार में संवेदनशीलता और गंभीरता हो
  • अपने चरित्र और कर्म से अंबेडकर अनुयायी बनें, न कि केवल बैनर और पोस्ट से।

बाबा साहब का सपना तभी पूरा होगा... 

जब हम सिर्फ फॉलोवर नहीं, बल्कि सच्चे अनुयायी बनें।
जब हमारा हर कार्य समाज में स्थायी बदलाव लाने वाला हो।
जब हम समाज को बताएं कि अंबेडकरवाद केवल एक विचार नहीं, जीवनशैली है – जो न्याय, समानता और आत्मसम्मान के साथ जीना सिखाती है।



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