संघर्ष से सफलता तक
गरीबी के माहौल में पली-बढ़ी खुशबू ने बचपन से ही पढ़ाई के प्रति गहरी लगन दिखाई। तमाम आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी मेहनत का नतीजा आज सबके सामने है—एक डॉक्टर का सफेद कोट और आँखों में समाज की सेवा का सपना।
गाँव में पहला कदम – सम्मान और गर्व
एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद जैसे ही खुशबू अपने गाँव लौटीं, माहौल उत्सव जैसा हो गया। सबसे पहले उन्होंने सोडा की ढाणी, खानपुर मेवां स्थित बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माला अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने गाँव के बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया।
गाँववासियों ने माला, बुके और तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। इस अवसर पर न केवल खुशबू, बल्कि अखिलेश (रिलायंस ब्रांच मैनेजर), माया देवी, मनीषा देवी, इंदु बाला (सीनियर नर्सिंग ऑफिसर), संजय सिंह (सीनियर नर्सिंग ऑफिसर), और प्रेमलता (ए.एन.एम.) का भी सम्मान किया गया।
गर्व का रिश्ता
डॉ. खुशबू सिंह, डॉ. बी.आर. अंबेडकर ज्ञान ज्योति के अध्यक्ष मदन लाल वर्मा की भतीजी हैं। कार्यक्रम में डॉक्टर हरिप्रसाद वर्मा, डॉक्टर राजेंद्र सिंह वर्मा, डॉक्टर राहुल वर्मा, डॉक्टर संजय सिंह, रामावतार पंच, ओमप्रकाश टेलर्स, ठेकेदार मदन लाल वर्मा, डॉक्टर ओजस्वी सिंह, डॉक्टर हरिप्रसाद, राम सिंह, जोगेंद्र सिंह, कन्हैयालाल, हीरालाल समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
प्रेरणा का स्रोत
इस अवसर पर मौजूद लोगों ने कहा कि खुशबू की यह सफलता गाँव के युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनके संघर्ष और समर्पण से यह साबित होता है कि कठिन परिस्थितियाँ कभी भी सपनों को रोक नहीं सकतीं, अगर मेहनत सच्ची हो और इरादा पक्का।
गाँव के लोग अब गर्व से कहते हैं—
"हमारी खुशबू अब सिर्फ गाँव की नहीं, पूरे क्षेत्र की शान है।"