राजस्थान में उच्च शिक्षा के नाम पर खोले जा रहे राजकीय महाविद्यालयों की हकीकत दिन-ब-दिन उजागर होती जा रही है। ऐसी ही एक चिंताजनक तस्वीर सामने आई है मुंडावर तहसील के राजकीय महाविद्यालय की, जहां आज भी पढ़ाई एक जर्जर, असुरक्षित और मानव जीवन के लिए खतरनाक भवन में हो रही है।
राज्य सरकार ने कई वर्षों पहले इस कॉलेज की स्थापना तो कर दी, लेकिन आज तक न तो इसके लिए पक्का, सुरक्षित भवन बना और न ही मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। कॉलेज के पास मात्र तीन-चार छोटे कमरे हैं, जिनकी छतें टपकती हैं और दीवारों में दरारें साफ दिखाई देती हैं। बारिश के दौरान यह भवन किसी मौत के जाल में तब्दील हो सकता है
छात्रों के लिए न पानी, न बैठने की व्यवस्था
कॉलेज परिसर में न तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है, न ही छात्रों के बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियाँ या फर्नीचर। परिसर इतना उपेक्षित है कि झाड़ियां और बड़ी-बड़ी घास उग आई हैं, और अक्सर आवारा पशु घूमते रहते हैं। इससे छात्रों को शारीरिक खतरे का भी सामना करना पड़ता है।
कक्षाएं नहीं चल रही, स्टाफ अधूरा
कॉलेज में कक्षाएं नियमित नहीं लगतीं। शिक्षकों की संख्या अधूरी है, और जो शिक्षक कार्यरत हैं वे केवल औपचारिकता निभा रहे हैं। विद्यार्थियों की उपस्थिति न के बराबर है, क्योंकि ऐसा माहौल उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित करने की बजाय डर पैदा करता है।
झालावाड़-जैसलमेर जैसे हादसों से भी नहीं जागा प्रशासन
हाल ही में झालावाड़ और जैसलमेर में स्कूल की छत गिरने से मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन लगता है कि मुंडावर प्रशासन और शिक्षा विभाग को ऐसे किसी बड़े हादसे का इंतज़ार है। इस महाविद्यालय में यदि अधिक बारिश हो जाए तो यह छोटा परिसर तालाब में बदल सकता है, और जर्जर कमरे कभी भी गिर सकते हैं।
जवाबदेही तय हो — क्या यही है सरकार की 'शिक्षा नीति'?
राजकीय महाविद्यालयों की ऐसी दुर्दशा देखकर यह सवाल उठना लाजमी है — क्या सरकार ने सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए कॉलेज खोले हैं? क्या छात्रों के जीवन से खिलवाड़ कर 'शिक्षा का अधिकार' दिया जा रहा है? और सबसे बड़ा सवाल — जिम्मेदार कौन है?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों, शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को इस विषय पर तुरंत संज्ञान लेते हुए स्थायी समाधान देना चाहिए। अन्यथा, यह चुप्पी भविष्य में किसी दुर्घटना की साजिश बनकर सामने आ सकती है।
प्रगति न्यूज़ राज्य सरकार से मांग करता है कि:
- मुंडावर महाविद्यालय के लिए नया भवन तत्काल स्वीकृत किया जाए।
- वर्तमान भवन की तुरंत मरम्मत या उपयोग पर रोक लगाई जाए।
- मूलभूत सुविधाएं – शुद्ध पेयजल, शौचालय, फर्नीचर, स्टाफ – तुरंत उपलब्ध कराए जाएं।
- कॉलेज का संचालन तब तक किसी सुरक्षित वैकल्पिक स्थान पर किया जाए।