प्रदर्शन के दौरान आम आदमी पार्टी की महिला नेत्री को पुलिस द्वारा जबरन गाड़ी में बिठाते हुए हिरासत में ले लिया गया। इस दौरान मौजूद पुलिसकर्मियों में पुरुष जवानों की भी भागीदारी देखी गई, जिसे लेकर महिला सुरक्षा और मर्यादा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जिस संविधान में सभी नागरिकों को शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया है, आज उसी अधिकार को सत्ताधारी सरकार कुचलने का प्रयास कर रही है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा —
“सरकार सत्ता के नशे में इतनी चूर हो चुकी है कि मानवीय मूल्यों को भी दरकिनार कर दिया गया है। शिक्षा को खत्म कर देना किसी भी राष्ट्र के भविष्य को अंधेरे में धकेलने जैसा है।”
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार दोनों पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या यह निर्णय जनहित में है या फिर बजट कटौती और निजीकरण की ओर एक और कदम?
विपक्षी दलों ने मांग की है कि सरकार इस फैसले को तत्काल वापस ले और प्राथमिक शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए ठोस कदम उठाए, न कि इसे बंद करने जैसे निर्णय ले।
विचार योग्य प्रश्न
- क्या सरकार शिक्षा के अधिकार की मूल भावना से भटक गई है?
- क्या यह कदम सरकारी स्कूलों के निजीकरण की ओर संकेत है?
- गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों का भविष्य अब क्या होगा?