संवाददाता – अनिल बजाज, मुंडावर
“हौसलों की उड़ान में किसी शरीर की नहीं, जज़्बे की ज़रूरत होती है।”
इस बात को सच कर दिखाया है मुंडावर की होनहार छात्रा पायल ने, जिसने दोनों हाथ न होने के बावजूद दसवीं बोर्ड परीक्षा में 100 में से 100 अंक हासिल कर इतिहास रच दिया।
हादसे ने छीने हाथ, पर नहीं हौसला
पायल महज पांच साल की थी, जब एक दर्दनाक हादसे ने उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। घर में खेलते समय वो टूटे हुए बिजली के तार की चपेट में आ गई और करंट से बुरी तरह झुलस गई। जयपुर में इलाज के दौरान डॉक्टरों को उसके दोनों हाथ काटने पड़े। हादसे के बाद हर किसी को यही लगा कि अब इस बच्ची का जीवन संघर्षों से भरा रहेगा, लेकिन पायल ने अपने जज्बे से सबको गलत साबित कर दिया।
दादी की गोद से निकली नई शुरुआत
हादसे के डेढ़ महीने बाद जब पायल घर लौटी, तो उसने अपनी दादी से कॉपी-पेन मांगते हुए कहा – "मैं होमवर्क करूंगी।" उस मासूम की बात सुनकर पूरे परिवार की आंखें नम हो गईं। उसके नाना ने तुरंत उसे कॉपी-पेन दिलवाया और वहीं से शुरू हुआ एक ऐसा सफर, जिसमें उसने अपने पैरों को ही हाथ बना लिया।
पैरों से लिखना सीखा, फिर नहीं रुकी
शुरुआत में कठिनाई जरूर हुई, लेकिन पायल ने हार नहीं मानी। उसने अपने पैरों से लिखना सीखा और अभ्यास के दम पर धीरे-धीरे इतनी कुशल हो गई कि आज वह सामान्य बच्चों से भी बेहतर तरीके से पढ़ाई कर रही है। दसवीं में उसने न केवल अच्छे अंक हासिल किए, बल्कि गणित विषय में 100 में से 100 अंक लाकर सभी को चौंका दिया।
अब IAS बनना है सपना
पायल कहती है – "मेरे पास हाथ नहीं हैं, लेकिन मैं सब काम कर सकती हूं। खाना खाना, कपड़े पहनना, साइकिल चलाना... सब कुछ।" उसका सपना है कि वह IAS अधिकारी बने और समाज के उन लोगों की मदद करे, जो कभी हार मान लेते हैं। स्कूल और परिवार के सभी सदस्य उसका भरपूर सहयोग करते हैं, और यही उसका सबसे बड़ा संबल है।
समाज के लिए एक प्रेरणा
पायल जैसी बच्चियां समाज को यह संदेश देती हैं कि कोई भी शारीरिक कमी हमें सफल होने से नहीं रोक सकती। अगर जज्बा हो, तो मुश्किल से मुश्किल रास्ता भी आसान हो जाता है।
“पंख नहीं हैं तो क्या, हौसले ही काफी हैं उड़ान के लिए।”
पायल की कहानी सिर्फ एक खबर नहीं, एक मिसाल है उन सभी के लिए, जो परिस्थितियों से हार मान लेते हैं।
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