गांव की आवाज़: सरपंच शम्भू दयाल मीना की हकीकत – एक जनप्रतिनिधि या भ्रष्टाचार का प्रतीक: सरपंच है या कलंक

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गांव खटकड़ के वर्तमान सरपंच शम्भू दयाल मीना की सच्चाई अब किसी से छुपी नहीं है। जिस कुर्सी पर बैठकर गांव का विकास, महिलाओं का सम्मान और गरीबों की मदद होनी चाहिए थी, उस कुर्सी का इस्तेमाल इस व्यक्ति ने गाली-गलौच, धमकियों और भ्रष्टाचार के लिए किया है।

2 साल पहले की एक वायरल कॉल रिकॉर्डिंग में छंबू दयाल मीना एक दलित महिला को घिनौनी और शर्मनाक गालियां देते हुए सुना गया था। उसने महिला को मनरेगा की नौकरी से निकालने की धमकी दी। जब पीड़िता ने न्याय के लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, तो इस व्यक्ति ने राजनीतिक प्रभाव और धमकियों के ज़रिए केस को दबा दिया और महिला के परिवार को डरा-धमका कर न्याय से वंचित कर दिया

हाल ही की घटना और भी शर्मनाक है। गांव के एक गरीब और दलित युवक जितेन्द्र कुमार वर्मा से इस सरपंच ने पटवारी जयसिंह मीना के साथ मिलकर ₹10,000 की रिश्वत मांगी। पहले ₹5,000 नकद लिए गए और बाकी राशि न मिलने पर सरपंच ने उसके घर जाकर उसकी मां को गालियां दीं, जातिसूचक शब्द कहे और जान से मारने की धमकी दी। अंत में डरा-धमकाकर ₹5,000 और वसूले गए जो उसके बेटे 'लांड्या पंच' के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर कराए गए। इस घिनौने कृत्य के स्क्रीनशॉट और कॉल रिकॉर्डिंग इस पोस्ट के साथ संलग्न हैं।

गांव में पानी की किल्लत, टूटी सड़कें, गंदगी से फैलती बीमारियां, सब कुछ मौजूद हैं — सिर्फ विकास नहीं। लेकिन सरपंच का ध्यान सिर्फ अपनी जेब भरने और विरोधियों को डराने में है।

यह सरपंच नहीं, बल्कि गांव पर एक कलंक है।

  • जो महिलाओं को गालियां दे,
  • गरीबों से रिश्वत मांगे,
  • दलितों को धमकाए,
  • और सत्ता के नशे में जनता का अपमान करे,
    वह समाज का प्रतिनिधि नहीं हो सकता।

अब गांव की जनता चुप नहीं बैठेगी।
हम खटकड़ को फिर से इज्जत, विकास और न्याय का गांव बनाएंगे। अब समय आ गया है कि हम मिलकर आवाज़ उठाएं और इस भ्रष्ट व अहंकारी सरपंच को कानूनी कटघरे में खड़ा करें।

आप सबसे निवेदन है — इस पोस्ट को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें।
रिकॉर्डिंग और सबूतों को सुनें और इस दलित युवक को न्याय दिलाने में मदद करें।
यह लड़ाई सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, पूरे गांव की अस्मिता और न्याय के लिए है।

आपकी चुप्पी अब नहीं चलेगी – अब आपकी आवाज़ ही बदलाव लाएगी।