राजस्थान विधानसभा सत्र में वासुदेव देवनानी भावुक, गोविंद सिंह डोटासरा पर लगाए अपशब्दों के आरोप

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राजस्थान विधानसभा सत्र में वासुदेव देवनानी भावुक, गोविंद सिंह डोटासरा पर लगाए अपशब्दों के आरोप

राजस्थान विधानसभा का सत्र हमेशा से राजनीतिक बहसों और तीखी नोकझोंक का गवाह बनता रहा है, लेकिन इस बार का सत्र एक अलग ही कारण से चर्चा में रहा। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी सत्र के दौरान भावुक हो गए और फूट-फूटकर रो पड़े। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर गंभीर आरोप लगाए कि उन्होंने उनके खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया।


क्या है पूरा मामला?

बताया जा रहा है कि विधानसभा की कार्यवाही के दौरान किसी मुद्दे पर चर्चा चल रही थी, जिसमें वासुदेव देवनानी और गोविंद सिंह डोटासरा के बीच तीखी बहस हुई। इस दौरान, देवनानी ने आरोप लगाया कि डोटासरा ने उनके लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जिससे वे आहत हुए और उनकी आँखों से आंसू छलक पड़े।


उन्होंने सदन में कहा, "मेरे मन में बहुत पीड़ा है। मैंने कभी किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया, और न ही कभी ऐसा करूंगा। लेकिन आज जो हुआ, वह असहनीय है।"


राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद विधानसभा में सन्नाटा छा गया और कई नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी।


बीजेपी विधायकों ने इस मामले को लेकर कड़ा विरोध जताया और कांग्रेस से स्पष्टीकरण मांगा।


कांग्रेस खेमे से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, डोटासरा ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।


क्या कहता है संसदीय शिष्टाचार?

विधानसभा में तीखी बहसें आम बात हैं, लेकिन नियमों के अनुसार, किसी भी सदस्य को व्यक्तिगत रूप से अपमानित करना या अमर्यादित भाषा का प्रयोग करना अनुचित माना जाता है। अगर ऐसा होता है, तो संबंधित सदस्य को माफी मांगनी पड़ सकती है या विधानसभा अध्यक्ष इस पर कार्रवाई कर सकते हैं।


निष्कर्ष

राजनीति में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन व्यक्तिगत सम्मान और मर्यादा बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। वासुदेव देवनानी की भावनात्मक प्रतिक्रिया दिखाती है कि राजनीति में भी संवेदनशीलता की जगह होनी चाहिए। अब देखना होगा कि इस घटना पर विधानसभा अध्यक्ष और संबंधित पक्ष क्या कदम उठाते हैं।

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