अनिल बजाज ---- ब्यूरो चीफ खैरथल तिजारा
बानसूर। भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान के अधीन कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र, बानसूर के तत्वावधान में प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार शर्मा के निर्देशानुसार ढाणी लालवाली, बानसूर में खरीफ फसलों में कीट एवं रोग प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण में केंद्र के पौध संरक्षण *विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार* ने बाजरा, ग्वार और कपास जैसी खरीफ फसलों में लगने वाले प्रमुख कीटों एवं रोगों की पहचान व उनके नियंत्रण के उपायों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बुवाई से पूर्व बीज एवं भूमि उपचार करने से फसल को 30 से 35 दिनों तक कीट और रोगों से सुरक्षा मिलती है।
डॉ. कुमार ने किसानों को कीट प्रबंधन के लिए फेरोमोन ट्रैप और नीम आधारित जैविक कीटनाशकों के उपयोग की सलाह दी, जिससे माहू, हरा तेला, थ्रिप्स एवं सफेद मक्खी जैसे कीटों का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होंने रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव के दौरान मास्क, दस्ताने व अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों का प्रयोग करने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर कृषि प्रसार विशेषज्ञ डॉ. संदीप रस्तोगी ने प्राकृतिक खेती के महत्व को रेखांकित करते हुए जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत और नीमास्त्र जैसे जैविक उपायों की विधियों को विस्तार से समझाया। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे कम से कम एक बीघा भूमि में प्राकृतिक खेती अवश्य अपनाएं।
प्रशिक्षण शिविर में क्षेत्र के अनेक प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया और जैविक विधियों की जानकारी लेकर उन्हें अपनी खेती में लागू करने का संकल्प लिया।