शिक्षालय या श्मशान: पिपलोदी हादसे पर जनभावना को दर्शाती कविता

संवाददाता: किशन सांवरिया (मुण्डावर) 

शिक्षालय या श्मशान: पिपलोदी हादसे पर जनभावना को दर्शाती कविता

मोलावास निवासी दीपदीपिका ने हाल ही में पिपलोदी पाठशाला हादसे को लेकर एक मार्मिक कविता लिखी है, जिसका शीर्षक है "शिक्षालय या श्मशान"। यह कविता शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत और सरकारी लापरवाही पर तीखा सवाल उठाती है।

कविता में गिरती छतों, बिखरते सपनों और मासूम बच्चों की मौत को उजागर करते हुए बताया गया है कि कैसे शिक्षा के मंदिर अब मौत के तांडव का स्थल बनते जा रहे हैं।

दीपदीपिका ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से सरकार और समाज की सोई हुई संवेदनाओं को जगाने का प्रयास किया है।

कविता शीर्षक - शिक्षालय या श्मशान

लेखक - दीपदीपिका, मोलावास

पिपलोदी पाठशाला हादसा, हकीकत को दर्शाता है

राजस्थान को शिक्षा क्षेत्र में, पिछड़ता हुआ दिखाता है।।


गिरती छतें, बिखरते सपने, कब भला इंसाफ होगा

मान लूं अंत त्रासदी का, या फिर कल ऐसा होगा।।


शिक्षा मंदिर मौत का तांडव, हैवानियत दिखाता है

दोषियों द्वारा निर्दोष को, दोषी बताया जाता है।।


शिक्षा के भवन में मौत का दंश, झेले नन्हीं जानें

टपकती ना हो छत जिनकी, दर्द वो क्या जानें।।


तोड़कर भवन शिक्षा का, मंदिर बनाए जाते हैं

निकालो गर लफ्ज़ ज़ुबां से, लठ बरसाए जाते हैं।।


बाबाओं ने कानून, संग अनपढ़ ने शिक्षा पकड़ी है

सशक्त मेरे इस भारत की, शिक्षा व्यवस्था बिगड़ी है।।


होगी चार दिनों तक चर्चा, हाल फिर वही पाओगे

नींद में सोई सरकार को तुम, कैसे जगा पाओगे।।

 


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