ज्ञापन में सीधे तौर पर सवाल उठाया गया कि जब 2017 में कॉलेज स्वीकृत हुआ, 2021 में भूमि आवंटित हुई और 2022 में भवन निर्माण की मंजूरी भी मिल गई, तो फिर अब तक भवन क्यों नहीं बना?
क्या शिक्षा विभाग जानबूझकर ग्रामीण क्षेत्रों की उच्च शिक्षा को नजरअंदाज कर रहा है?
जर्जर भवन में पढ़ाई, हादसे की आशंका
वर्तमान में महाविद्यालय को एक प्राचीन, जर्जर स्कूल भवन में अस्थायी रूप से चलाया जा रहा है जो वर्ष 2018 से ही खतरनाक घोषित हो चुका है। छात्राएं रोज़ जान जोखिम में डालकर शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। अभिभावक चिंतित हैं, प्रशासन मौन है।
राजनीतिक वादों की कब्रगाह बना मुण्डावर कॉलेज
ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि यदि जल्द ही पूर्व में आवंटित भूमि पर कॉलेज भवन निर्माण शुरू नहीं किया गया, तो क्षेत्रवासी सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।
"क्या कॉलेज भवन की नींव भी चुनावी घोषणाओं के साथ दफना दी गई?" — यह सवाल अब हर आम नागरिक की ज़ुबान पर है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि स्थानीय विधायक और शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों ने इस विषय पर वर्षों से चुप्पी साध रखी है।
क्या जनप्रतिनिधियों का काम सिर्फ उद्घाटन की फीताएं काटना है, या वे जनता की मांगों पर भी कभी कार्रवाई करेंगे?
क्षेत्र की जनता अब जनप्रतिनिधियों से जवाब मांगने के मूड में है।
🛑 अब सवाल जनता का है:
- क्या सरकार ग्रामीण शिक्षा को जानबूझकर अनदेखा कर रही है?
- 8 साल में कॉलेज भवन नहीं बन पाना क्या प्रशासनिक विफलता नहीं है?
- जनप्रतिनिधि अगर इतने सालों में सिर्फ ज्ञापन लेकर चल रहे हैं, तो जिम्मेदारी कौन लेगा?
यह मुण्डावर की आवाज़ है — अब सिर्फ आश्वासन नहीं, कार्रवाई चाहिए।