चित्तौड़गढ़ में बड़ा फर्जीवाड़ा: मंगलवाड़ सरपंच फर्जी पट्टे जारी करने के आरोप में गिरफ्तार

चित्तौड़गढ़ में बड़ा फर्जीवाड़ा: मंगलवाड़ सरपंच फर्जी पट्टे जारी करने के आरोप में गिरफ्तार

चित्तौड़गढ़, 31 मार्च: चित्तौड़गढ़ जिले के मंगलवाड़ थाना पुलिस ने ग्राम पंचायत मंगलवाड़ के सरपंच/प्रशासक धनराज मीणा को फर्जी पट्टे जारी करने के मामले में गिरफ्तार किया है। आरोपी सरपंच ने ग्राम विकास अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कर कई व्यक्तियों को अवैध पट्टे जारी किए थे। पुलिस ने आरोपी को दो दिन के रिमांड पर लिया है, जिससे अन्य संलिप्त व्यक्तियों की पहचान की जा सके।

कैसे खुला फर्जीवाड़ा?

पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने बताया कि 3 फरवरी 2023 को डूंगला पंचायत समिति के ग्राम विकास अधिकारी कुलदीप सिंह मीणा ने मंगलवाड़ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग से मिले निर्देशों के तहत जांच में पाया गया कि जुलाई 2022 से नवंबर 2022 के बीच जारी कई पट्टों पर फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे।

जांच में सामने आए नाम

जांच के दौरान निम्नलिखित लोगों के नाम सामने आए, जिनके पट्टे फर्जी तरीके से जारी किए गए थे:

  • शंकरलाल पुत्र भंवरलाल खटीक
  • मनीष पुत्र छगनलाल सिसोदिया
  • दिलीप पुत्र सत्यनारायण अग्रवाल
  • मांगीलाल पुत्र उकार अहीर
  • नारायण पुत्र भैरा अहीर
  • सीताबाई पत्नी हरिराम मीणा
  • चंदा पत्नी ललित भावसार

इन सभी व्यक्तियों को किसी अन्य पट्टा बुक से फर्जी हस्ताक्षर कर पट्टे जारी किए गए थे, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में इनका कोई उल्लेख नहीं था।

पुलिस कार्रवाई और जांच जारी

एएसपी सरिता सिंह और डीएसपी देशराज कुलदीप के निर्देशन में थानाधिकारी भगवानलाल के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम ने 32 वर्षीय सरपंच धनराज मीणा को गिरफ्तार किया। आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी (IPC 420), जालसाजी (IPC 467, 468), और आपराधिक षड्यंत्र (IPC 120B) के तहत केस दर्ज किया गया है।

पुलिस अब यह जांच कर रही है कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल है और अब तक कितने फर्जी पट्टे जारी किए जा चुके हैं।

क्या है आगे की कार्रवाई?

  • पुलिस अब उन सभी व्यक्तियों से पूछताछ करेगी, जिनके नाम इन फर्जी पट्टों में शामिल हैं।
  • यह जांच की जा रही है कि क्या इस घोटाले में अन्य सरकारी अधिकारी या पंचायत सदस्य भी शामिल हैं।
  • मामले में अन्य पीड़ितों की भी शिकायतें थाने में दर्ज हो चुकी हैं, जिनकी जांच जारी है।


यह मामला ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार को उजागर करता है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इस तरह के फर्जीवाड़े की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।



 


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