मान्यवर कांशी राम: दलित उत्थान के महानायक

मान्यवर कांशी राम: दलित उत्थान के महानायक
मान्यवर कांशी राम: दलित उत्थान के महानायक

प्रस्तावना
मान्यवर कांशी राम भारतीय राजनीति में एक क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया। वे बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक थे और उनके प्रयासों से दलित समाज को राजनीतिक शक्ति मिली। इस लेख में हम उनके जीवन, विचारधारा और योगदान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


कांशी राम का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

  • जन्म: 15 मार्च 1934, रोपड़ (अब रूपनगर), पंजाब
  • शिक्षा: गवर्नमेंट कॉलेज रोपड़ से विज्ञान स्नातक (B.Sc.)
  • प्रारंभिक करियर: डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) में वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया

काम के दौरान उन्होंने दलितों के साथ हो रहे भेदभाव को महसूस किया और समाज सुधार की दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया।


राजनीतिक सफर और सामाजिक आंदोलन

1. बामसेफ (BAMCEF) की स्थापना (1978)

कांशी राम ने 1978 में बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लॉइज फेडरेशन (BAMCEF) की स्थापना की। यह संगठन सरकारी नौकरियों में कार्यरत पिछड़े और दलित वर्ग के लोगों को एकजुट करने का प्रयास करता था।

2. डीएस-4 (DS4) का गठन (1981)

बामसेफ से आगे बढ़कर उन्होंने दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (DS4) बनाई। इस संगठन ने दलित समाज को राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

3. बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना (1984)

कांशी राम ने 14 अप्रैल 1984 को BSP की स्थापना की। इस पार्टी का मुख्य नारा था "बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय"। BSP ने धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में मजबूत पकड़ बनाई।


कांशी राम के विचार और सिद्धांत

1. राजनीतिक सशक्तिकरण

उन्होंने माना कि दलितों को अपने अधिकारों के लिए राजनीतिक शक्ति प्राप्त करनी होगी। उन्होंने कहा था:
"जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी।"

2. ब्राह्मणवादी व्यवस्था का विरोध

उन्होंने जातिवादी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष किया और बाबा साहब अंबेडकर के सिद्धांतों को आगे बढ़ाया।

3. स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता

उन्होंने दलित समाज को आत्मनिर्भर बनने और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी।


राजनीतिक उपलब्धियां

  1. BSP की सफलता: 1995 में BSP पहली बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई, जिससे मायावती मुख्यमंत्री बनीं।
  2. दलित चेतना का विस्तार: उन्होंने दलित, पिछड़े और आदिवासी समाज को संगठित कर उन्हें राजनीतिक शक्ति दी।
  3. अन्य राज्यों में विस्तार: पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में BSP ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कांशी राम का निधन और विरासत

  • निधन: 8 अक्टूबर 2006, नई दिल्ली
  • विरासत: आज भी उनके विचार और आंदोलन दलित राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


  • मान्यवर कांशी राम जीवनी
  • कांशी राम का राजनीतिक जीवन
  • बहुजन समाज पार्टी का इतिहास
  • कांशी राम और दलित आंदोलन
  • BAMCEF और DS4 संगठन

निष्कर्ष
मान्यवर कांशी राम ने भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय की नई दिशा दी। उनका योगदान दलित समाज को सशक्त बनाने में अविस्मरणीय है। उनका संघर्ष और विचारधारा आज भी प्रेरणादायक हैं।

अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे शेयर करें और अपने विचार कमेंट में बताएं!


ताराचन्द खोयड़ावाल
संस्थापक :- मजदूर विकास फाउंडेशन
संपादक :- प्रगति न्यूज़ 

 


Bharat Ka Apna Payments App-a UPI Payment App! 

Flat Rs 20 Cashback on Prepaid Mobile Recharge of Rs 199 and Above