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महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम घोटाले के संबंध में ED बेंगलुरु ने न्यायालय में की शिकायत दर्ज।

महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम घोटाले के संबंध में ED बेंगलुरु ने न्यायालय में की शिकायत दर्ज।

प्रेस विज्ञप्ति 9/10/2024

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), बेंगलुरु ने कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम घोटाले के संबंध में बैंगलोर में सांसदों और विधायकों के लिए माननीय विशेष न्यायालय के समक्ष अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की है और माननीय न्यायालय ने पीसी का संज्ञान लिया है। विधायक और अनुसूचित जनजाति मामलों के पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र को घोटाले के पीछे मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड के रूप में नामित किया गया है, कथित तौर पर सत्यनारायण वर्मा, एताकारी सत्यनारायण, जे.जी. पद्मनाभ, नागेश्वर राव, नेक्केंटी नागराज और विजय कुमार गौड़ा जैसे प्रमुख सहयोगियों सहित 24 अन्य लोगों की मदद से इसे अंजाम दिया।


ईडी ने कर्नाटक पुलिस और सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की, जिसमें पता चला कि निगम के खातों से लगभग 89.62 करोड़ रुपये आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फर्जी खातों में भेजे गए और बाद में फर्जी संस्थाओं के माध्यम से धनशोधन किया गया।  


यह घोटाला मई 2024 में निगम के एक कर्मचारी चंद्रशेखर की आत्महत्या के बाद प्रकाश में आया। ईडी की जांच में पता चला कि बी. नागेंद्र के प्रभाव में निगम के खाते को बिना किसी उचित प्राधिकरण के एमजी रोड शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां गंगा कल्याण योजना के तहत राज्य के खजाने से 43.33 करोड़ रुपये सहित 187 करोड़ रुपये उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए जमा किए गए। बाद में इन निधियों को कई फर्जी खातों के माध्यम से निकाल लिया गया और नकदी और बुलियन में बदल दिया गया। ईडी की जांच में यह भी पता चला कि डायवर्ट किए गए फंड में से 20.19 करोड़ रुपये का इस्तेमाल बेल्लारी निर्वाचन क्षेत्र से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने वाले एक उम्मीदवार के समर्थन के साथ-साथ बी. नागेंद्र के निजी खर्चों के लिए किया गया था। तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान इन खर्चों के साक्ष्य मिले और वित्तीय विश्लेषण और विवरणों से इसकी पुष्टि हुई। 


चुनाव खर्चों का विवरण विजय कुमार गौड़ा के मोबाइल फोन से प्राप्त किया गया, जो नागेंद्र के निर्देश पर नकदी संभालता था।  घोटाले के प्रकाश में आने के बाद इस्तीफा देने वाले बी. नागेंद्र पर भी मोबाइल फोन नष्ट करके जांच में बाधा डालने और दूसरों को चुप रहने का निर्देश देने का आरोप है। ईडी ने जांच के दौरान नागेंद्र और पांच अन्य प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया। आगे की जांच जारी है।

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