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निर्वाचन आयोग द्वारा लॉटरी या रोस्टर कैसे किया जाता है निर्धारण समझें।

निर्वाचन आयोग द्वारा लॉटरी या रोस्टर कैसे किया जाता है निर्धारण समझें।


लॉटरी व्यवस्था एक प्रकार का रोस्टर सिस्टम है जिसमें प्रत्येक पाँच साल के बाद वहाँ की सीट जनसंख्या की आनुपात को देखते हुए सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सीटों का आरक्षण बदल दी जाती है। जैसे-


जहाँ SC/ST और पिछड़ी जातियों या महिलाओं के लिए सीट आरक्षित है। वहाँ अगले 5 साल बाद निर्वाचन आयोग द्वारा लॉटरी या रोस्टर के माध्यम से बदल दिया जाता है। बशर्ते किसी खास वर्ग के लिए किसी पंचायत क्षेत्र में आरक्षण को दोहराया नहीं जा सकता, जब तक कि अन्य सभी को समुचित प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया गया हो।


 

रोस्टर की व्यवस्था आप निम्नलिखित उदाहरण से समझ सकते हैं।


मान लिजिए किसी जिले में 90 ग्राम पंचायतें हैं। वहाँ पहले 5 साल में किन्हीं 30 ग्राम पंचायतों की सरपंच महिलाएं होंगी। दूसरे अन्य 30 ग्राम पंचायतों में अगले 5 वर्ष के लिए वहाँ महिला सरपंच होंगी। इसके बाद अगले 5 के लिए बचे हुए 30 ग्राम पंचायतों में महिला सरपंच होंगी। इस प्रकार से रोस्टर के हिसाब से महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित रहेंगी और रोस्टर से अन्य को भी भागीदारी करने का मौका मिलता रहेगा।


इसी प्रकार SC/ST के लिए भी आरक्षण का तरीका अपनाया जाता है।

इस रोस्टर प्रणाली की प्रक्रिया राज्य सरकार के निर्वाचन आयोग द्वारा की जाती है।


नोटा क्या है?


नोटा ‘‘इनमें से कोई नहीं" का संकेत है। इसे हाल ही में भारत चुनाव आयोग ने जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, पूरे भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में उम्मीदवारों की सूची के अंत में ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ नोटा का विकल्प दिया गया है। इसका प्रयोग वे मतदाता करते है जिनके पास वोट डालने का तो अधिकार है लेकिन वे किसी भी उम्मीदवार को योग्य नहीं मानते है।


वर्तमान समय में नोटा का विकल्प पंचायत चुनावों में नहीं होता है। परन्तु कुछ राज्यों में पंचायत चुनावों में भी इस व्यवस्था की माँग की जा रही है।


पंचायत चुनाव का महत्व-


लोकतंत्र में पंचायत एक पर्व की तरह है। यह लोकतांत्रिक पर्व इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह 5 वर्ष में एक बार आता है। जहाँ लोगों को अपने मनपसंद लोगों को चुनने का अधिकार मिलता है। सत्ता के विकेंद्रीकरण को निचले स्तर पर स्थापित करने में ग्राम पंचायतें भारत में शासन व्यवस्था की सशक्त इकाईयाँ है।


संक्षेप में कहें, पंचायत चुनाव में आरक्षण भी एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है जिसमें सभी वर्ग के लोगों को शासन में भागीदारी करने का मौका मिलता है। पंचायती राज अधिनियम में मिली आरक्षण व्यवस्था सभी वर्गों की भागीदारी में मील का पत्थर साबित हुआ है। सभी वर्गों की भागीदारी से साफ है कि जिस उद्देश्य से आरक्षण व्यवस्था का ताना-बाना बुना गया था, आज वह अपने लक्ष्य को साध रही है।

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