कोटकासिम समित के समीपय मांघा का माजरा गाँव में एक भी विद्यालय नहीं ग्रामवासियों ने जताई नाराजगी जिम्मेदार नेता देते हैं सिर्फ आश्वासन

कोटकासिम समित के समीपय मांघा का माजरा गाँव में एक भी विद्यालय नहीं ग्रामवासियों ने जताई नाराजगी

जिम्मेदार नेता देते हैं सिर्फ आश्वासन
विद्यालय हैं, मगर शिक्षा नहीं, चुनाव होते हैं, मगर शिक्षा नहीं
जयबीर सिंह ब्यूरो (खैरथल तिजारा)
 गांव मांघा का माजरा में एक भी विद्यालय नहीं, गांव के बच्चों को जाना पड़ता है 5 किलोमीटर दूर शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पिछड़ा गांव, बच्चों का हो रहा है भविष्य खराब जिम्मेदार नैता लोग सिर्फ आश्वासन देते हैं लेकिन ग्रामीण लोगों के बच्चे के भविष्य पर नहीं है किसी का भी ध्यान, विद्यालय होते हुए भी शिक्षा नहीं होती हैं, विद्या का मंदिर बना चुनाव का अड्डा चुनाव होते हैं मगर शिक्षा नहीं गरीबों में तानाशाहों का राज विधायक सरपंच ने ली चुपी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा विद्यालय खुलेगा और बच्चों को शिक्षा भी मिलेगी और गांव का विकास भी होगा। 
यह सच है सरकारी विद्यालय में पढ़ाई बिल्कुल नहीं होती। लेकिन स्कूल बंद कर देना इस समस्या का हल नहीं है। क्योंकि सरकारी विद्यालयों में ज्यादातर उस समाज और परिवार के बच्चे पढ़ते हैं जो निजी स्कूलों की फीस और दूसरे खर्चे वाहन नहीं कर सकते।
सरकार को सरकारी स्कूलों की पढ़ाई की गुणवत्ता बड़ाने के लिए योग्य अध्यापकों की भर्ती आयोग के माध्यम से करनी चाहिए। हर वर्ष टीचर की वेतन वृद्धि के लिए परीक्षा का आयोजन होना चाहिए। अध्यकों की गुणवत्ता को जानने के लिए हर छै माह में उनके द्वारा पढ़ाए गए विषय की समीक्षा करनी चाहिए। बच्चों का हर माह मंथली टेस्ट होना चाहिए। स्कूल का वातावरण अच्छा होना चाहिए। लड़कियों और लडको के अलग अलग टॉयलेट की व्यवस्था होनी चाहिए। उच्च अधिकारियों के द्वारा हर माह स्कूलों का निरीक्षण करना चाहिए।
दिल्ली में केजरी सरकार ने सरकारी स्कूलों में सुधार के अच्छे कार्य किए हैं। वहां पर बच्चों को पढ़ाई से लेकर हर चीज की सुविधा किसी निजी स्कूलों से कम नहीं हैं। इसी तरह अन्य सरकारों को भी सरकारी स्कूलों में सुधार करना चाहिए। तभी इनके अस्तित्व को बचाया जा सकता है।


 


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