कहो ये कैसा अमृतकाल कविता गा कर सुनाई कांग्रेस नेता इमरान प्रताप गढ़ी ने


और न्यूज 24 के मंच पर बैठकर कांग्रेस नेता प्रताप गढ़ी ने कविता गाई सुने व देखें

कहो ये कैसा अमृत काल बताओ कैसा अमृत काल 

कैसा अमृत काल बताओ कैसा अमृत

काल आसमान के भाव छू रहे आटा चा चावल दाल

बताओ कैसा अमृत काल तुम्हारा कैसा 

अमृत काल जिधर देखिए उसी तरफ है नफरत की

तैयारी जिधर देखिए उसी तरफ है नफरत की

तैयारी नफरत का बाजार खोलकर बैठे हैं

व्यापारी तुमने जो चाहा कर डाला इसका गिला नहीं है 

तुमने जो चाहा कर डाला इसका गिला नहीं

है हमने विष ही विष पाया है अमृत मिला नहीं है 

चंदे के धंधे से तुम तो हो गए माला माल 

बताओ कैसा अमृत काल तुम्हारा

कैसा सा अमृत काल अंतिम पंक्ति पढ़ रहा

जीएसटी महंगाई से मिलेगा कब छुटकारा पूछ

रहा है नजर उठाओ देखो देश यह सारा पूछ रहा

है तुमसे तुम्हारे अच्छे दिन का नारा पूछ रहा है 

कब तक कहकर बचोगे इसमें है नेहरू की चाल 

तुम्हारा कैसा अमृत काल तुम्हारा कैसा अमृत काल 

ये नई कविता थी जो अभी कहीं पढ़ी नहीं

तो मैंने सोचा आज आपको सुना दूं तो ज्यादा अच्छा है

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