जयपुर/मुण्डावर
खैरथल-तिजारा जिले का मुख्यालय एवं नाम परिवर्तन को लेकर सियासी बयानबाजी तेज होती जा रही है। कांग्रेस विधायक ललित यादव ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न पूछते हुए सरकार से स्पष्ट किया कि क्या जिले का नाम बदलकर “भर्तृहरि नगर” रखने तथा मुख्यालय को अन्यत्र स्थानांतरित करने की कोई योजना है?
सरकार का जवाब
राजस्व विभाग की ओर से आए लिखित उत्तर में कहा गया कि
- फिलहाल जिला मुख्यालय बदलने या जिले का नाम बदलने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
- इस विषय पर न तो कोई सर्वे किया गया है और न ही परामर्श अथवा जनमत संग्रह।
- जब तक कोई ठोस निर्णय नहीं होता, तब तक नागरिकों को संभावित परेशानियों से बचाने के लिए भी कोई योजना प्रस्तावित नहीं है।
भाजपा नेताओं के बयान और असमंजस
हालांकि सरकार के जवाब के बाद भी भाजपा नेताओं के बयान मामले को और उलझा रहे हैं।
- पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के जिलाध्यक्ष ने दावा किया कि मुख्यालय खैरथल ही रहेगा। उन्होंने मिनी सचिवालय के लिए भूमि आवंटन लेटर भी दिखाया, लेकिन सवाल उठाया जा रहा है कि यदि जिले का नाम भर्तृहरि नगर घोषित हो गया तो यह लेटर स्वतः शून्य हो जाएगा।
- केंद्रीय मंत्री व अलवर सांसद भूपेंद्र यादव के बयानों ने भी असमंजस बढ़ा दिया है।
- उन्होंने कहा—“मुख्यालय कहीं भी हो, खैरथल की उपेक्षा नहीं होगी।”
- उनका कहना रहा कि—“खैरथल को केंद्र में रखकर विकास कार्य होंगे”, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि मुख्यालय कहाँ होगा।
- साथ ही उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि ये वही लोग हैं जो कभी राम मंदिर के विरोध और मस्जिद के समर्थन में थे, और अब भर्तृहरि नगर के विरोध में हैं।
लोगों में असंतोष और धरना-प्रदर्शन
जिला मुख्यालय और नाम को लेकर पैदा हुई असमंजस की स्थिति से स्थानीय लोगों में असंतोष फैल रहा है। खैरथल जिला बचाओ आंदोलन के तहत विभिन्न समाज, धर्म और सम्प्रदाय के लोग एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे पर समाज को बाँटने और भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।
इस विवाद के चलते धरना-प्रदर्शन अनिश्चितकालीन तक चलने की चेतावनी दी गई है। नागरिकों का मानना है कि यदि सरकार शीघ्र ही स्पष्ट निर्णय नहीं लेती तो हालात बिगड़ सकते हैं और कई प्रशासनिक व सामाजिक समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।
