37 दिन से जारी खैरथल जिला मुख्यालय संघर्ष – सरकार अब तक मौन
लेखक – ताराचन्द खोयड़ावाल
संस्थापक – मजदूर विकास फाउंडेशन
संपादक – प्रगति न्यूज़
खैरथल: खैरथल जिला मुख्यालय संघर्ष समिति का आंदोलन आज 37वें दिन में प्रवेश कर चुका है। आंदोलन की खासियत यह है कि इसमें किसी एक वर्ग नहीं, बल्कि सभी तबके—मजदूर, किसान, व्यापारी, महिलाएँ, युवा, सामाजिक संगठन, एनजीओ, समुदाय व सम्प्रदाय—सभी धर्मों से जुड़े लोग कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
लेकिन विडंबना यह है कि इतने दिनों बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। जनता सवाल कर रही है –
- क्या सरकार लोकतंत्र की आवाज दबाना चाहती है?
- क्या भाजपा नेताओं और पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाने के लिए मुख्यालय को अन्यत्र ले जाने की साजिश हो रही है?
- क्या गरीब, मजदूर और किसानों की परेशानियों को दरकिनार किया जा रहा है?
संघर्ष समिति का स्पष्ट कहना है कि अगर जिला मुख्यालय खैरथल से हटाया जाता है तो गरीब, मजदूर और किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा और रोजगार के अवसर भी कम होंगे। दूसरी ओर, यदि मुख्यालय खैरथल में ही रहता है तो जनता का कोई नुकसान नहीं होगा।
जनता का आरोप है कि मुख्यालय को स्थानांतरित करना सीधे-सीधे बड़े नेताओं और पूंजीपतियों के हित साधने जैसा है, जबकि आमजन की उम्मीदें और खुशियाँ चकनाचूर हो जाएँगी। जब खैरथल जिला बना था, तब लोगों ने विकास के सपने देखे थे, लेकिन अब वे सपने धराशायी होते नजर आ रहे हैं।
संघर्ष समिति ने आज आंदोलन को और तेज करने के लिए एक पोस्टर का विमोचन भी किया। यह साफ संकेत है कि आंदोलन अब और बड़ा रूप लेने जा रहा है। समिति ने चेतावनी दी है कि सरकार को समय रहते जनता की मांगों पर स्पष्ट और उचित जवाब देना चाहिए, अन्यथा परिणाम प्रतिकूल हो सकते हैं।


