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कानूनी व संवैधानिक जागरूकता से ही दलित समाज का सशक्तिकरण संभव — शैलेष गौतम।

कानूनी व संवैधानिक जागरूकता से ही दलित समाज का सशक्तिकरण संभव — शैलेष गौतम।


स्थान: होटल हाईवे इन, बहाला टोल टैक्स प्लाज़ा, अलवर।

दलित अधिकार केंद्र, जिला अलवर के तत्वावधान में होटल हाईवे इन, बहाला टोल टैक्स प्लाज़ा, अलवर में एकदिवसीय सामुदायिक जागरूकता बैठक का सफल आयोजन किया गया।

बैठक में क्षेत्र के महिला एवं पुरुष कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन शैलेष गौतम, जिला समन्वयक, दलित अधिकार केंद्र, अलवर द्वारा किया गया।

उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि —

“भारतीय संविधान ने हमें समानता, स्वतंत्रता और गरिमा से जीने का अधिकार दिया है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और संवैधानिक सुरक्षा के प्रावधानों की जानकारी होना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।”

उन्होंने विस्तार से भारतीय संविधान, मौलिक अधिकार, समानता का अधिकार, अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (POCSO), किशोर न्याय अधिनियम, तथा कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के बारे में जानकारी दी।

साथ ही उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा दलितों के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण हेतु बनाए गए SC/ST डेवलपमेंट फंड एक्ट 2022 की जानकारी समाज के हर व्यक्ति तक पहुँचना आवश्यक है ताकि योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँच सके।

पुष्पा देवी (आशा सहयोगिनी) ने कहा कि – “महिलाओं को अपने अधिकारों और कानून की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है, जिससे वे हर परिस्थिति में आत्मविश्वास के साथ निर्णय ले सकें।”

अनीता बौद्ध ने कहा – “डॉ. भीमराव आम्बेडकर द्वारा प्रदत्त संविधान हमारी अस्मिता और समानता की गारंटी है। इसे समझना और जीवन में अपनाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।”

लालचन्द ने कहा – “गांव स्तर पर एकजुट होकर अन्याय और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाना ही वास्तविक सामाजिक जागरूकता है।”

लक्ष्मी देवी ने कहा – “शिक्षा, आत्मनिर्भरता और संवैधानिक जागरूकता के माध्यम से ही दलित समाज अपनी नई दिशा तय कर सकता है।”

शिवलाल मेघवाल ने कहा – “आज भी समाज में अनेक स्तरों पर भेदभाव विद्यमान है, इसे समाप्त करने के लिए संविधान की मूल भावना – समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व – को व्यवहार में लाना आवश्यक है।”

कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर खुली चर्चा हुई और प्रतिभागियों ने समाज में समानता, न्याय और भाईचारे की भावना को मजबूत करने का संकल्प लिया।

अंत में शैलेष गौतम ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि –

“दलित अधिकार केंद्र आगे भी गांव–गांव में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करेगा ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक संविधान और कानून की जानकारी पहुँच सके और हर नागरिक अपने अधिकारों के साथ–साथ अपने कर्तव्यों को भी समझ सके।”

इस अवसर पर पुष्पा देवी, अनीता बौद्ध, लालचन्द, लक्ष्मी देवी, शिवलाल मेघवाल, दीपचंद, सुमन सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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